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Friday, November 14, 2025
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वोटों की है राजनीति, कैसे बनाएं विरोध की रणनीति

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  • भाजपा नेता द्वारा नाक रगड़वाने के मामले में भाजपा के साथ विपक्षी दल के नेता भी असमंजस में।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। व्यापारी सत्यम रस्तोगी से माफी मंगवाने और नाक रगड़वाने का मामला भले ही राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित होकर भाजपा की किरकिरी कर रहा हो। लेकिन यह मामला स्थानीय स्तर पर भाजपा ही नहीं विपक्षी दलों के गले की भी फांस बन गया है। वोटों की राजनीति में विरोध की रणनीति तैयार करने में सभी पशोपेश में पड़े हैं।

मेरठ दक्षिण से भाजपा विधायक और प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर गुर्जर बिरादरी से हैं। उनका खास और नाक रगड़वाने के मामले का मुख्य आरोपी विकुल चपराना भी गुर्जर बिरादरी से है। मेरठ दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं की संख्या करीब तीस हजार है, जो निर्णायक भूमिका में आते हैं। इन वोटों पर गुर्जर नेताओं की खास नजर रहती है। हालांकि यह बात अलग है कि सत्यम रस्तोगी जिस वैश्य समाज से आते हैं, उसकी वोट इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 80 हजार है। लेकिन वोटों की राजनीति में सभी दल उलझ गए हैं।

राज्यमंत्री का खुलकर विरोध भाजपाई नहीं कर पा रहे हैं। यह बात अलग है कि विकुल चपराणा को लेकर जरूर भाजपा आला नेता अब उग्र हो गए हैं। लेकिन विपक्षी दलों की हालत भाजपा से ज्यादा खराब नजर आ रही है। समाजवादी पार्टी ने हाल ही में कर्मवीर गुमी को जिलाध्यक्ष बनाया है। कर्मवीर गुमी गुर्जर बिरादरी से आते हैं और मेरठ दक्षिण विधानसभा से टिकट के दावेदार भी हैं। ऐसे में वह अपनी बिरादरी के युवक पर कार्रवाई को कैसे जमकर आंदोलन करें, उसमें वह उलझ गए हैं।
सपा जिलाध्यक्ष कर्मवीर गुर्जर शुक्रवार को सपाइयों के साथ एसएसपी आॅफिस पहुंचे। उन्होंने जो वहां ज्ञापन दिया, उससे साफ पता चलता है कि समाजवादी पार्टी इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है। कर्मवीर गुर्जर ने एसएसपी से पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के साथ ही किसी निर्दोष को न फंसाने की मांग की है। ऐसे में साफ है कि वह गोलमोल तरीके से गुर्जर बिरादरी के आक्रोश से बचते हुए भाजपा का विरोध कर रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर सपा विधायक अतुल प्रधान का भी अभी तक इस मामले में कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। ऐसे में साफ है कि वह भी अपनी बिरादरी की तरफ झुकते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस जिलाध्यक्ष गौरव भाटी भी विकुल के बचाव में नजर आए, उन्होंने धारा बढ़ाने पर अपना विरोध दर्ज कराया है।

राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर ने नहीं की पीड़ित से मुलाकात

इस पूरे प्रकरण में भाजपा के तमाम जनप्रतिनिधि और जिला स्तरीय बड़े नेता पीड़ित सत्यम रस्तोगी के घर जाकर उन्हें सांत्वना दे चुके हैं। लेकिन जिस विधानसभा क्षेत्र के सत्यम रहने वाले हैं, उसी के विधायक और राज्यमंत्री जिन्हें पूरे मामले में कटघरे में खड़ा किया गया है, वह अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए चार दिन बीतने पर भी सत्यम रस्तोगी के घर नहीं गए हैं। जिसे लेकर वैश्य वर्ग की नाराजगी और ज्यादा बढ़ती जा रही है और भाजपा का एक वर्ग भी इससे नाराज है।

राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के खुलने लगे मामले

वैसे तो पहले भी राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर को लेकर तमाम आरोप-प्रत्यारोप लगे हैं। लेकिन इस घटना ने बड़ा रूप ले लिया है। इसका अंदाजा शायद राज्यमंत्री को भी नहीं होगा। इस मामले में व्यापारी और वैश्य समाज में आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। इस बीच विरोधियों ने कई मामले उजागर करने शुरू कर दिये हैं। आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष अंकुश चौधरी ने जमीन घोटाला का एक मामला उजागर किया है। जिसमें उन्होंने राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर पर दलित पट्टों की जमीन को अवैध रूप से खरीदने का आरोप लगाया है। यह जमीन सोमेंद्र तोमर ने शांति निकतेन ट्रस्ट के नाम खरीदी है। इस ट्रस्ट के सोमेंद्र तोमर अध्यक्ष हैं। यह जमीन कायस्थ गांवड़ी के किसानों की है। इन जमीनों का बैनामा उपनिबंधक कार्यालय तृतीय सदर के यहां हुआ है। अहम बात ये है कि कुल 24 भूखंडों की खरीद की गई है, लेकिन सभी भूखंड में गवाह के रूप में मतीन ही लोग हैं। इसके साथ ही इन भूखंडों का बैनामा 21 जनवरी 2023 से लेकर 17 अप्रैल 2025 के बीच हुआ है। जिससे साफ है कि सारे बैनामा उनके इसी कार्यकाल में हुए हैं। इनमें सात भूखंड अनुसूचित जाति के पट्टेदार के नाम हैं।

 

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