शारदा रिपोर्टर मेरठ। बिना लाइसेंस बिना बिल और डिस्काउंट के साथ बिक रही दवाइयों को लेकर जिला मेरठ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के दर्जनों सदस्य बुधवार को कमिश्नर कार्यालय पहुंचे। इस दौरान उन्होंने एक ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि, दवा एक जीवन रक्षक वस्तु है। जिसकी बिक्री एक नियमावली के तहत की जाती है। परंतु आज के संदर्भ में यह बिल्कुल विलुप्त हो गई है। जिस प्रकार बिना लाइसेंस के, बिना फार्मासिस्ट के, बिना डॉक्टर के पर्चे के दवाइयां बेची जा रही है और उस पर डिस्काउंट दिया जा रहा है। वह जांच का विषय है।
उन्होंने कहा कि, जिला मेरठ ड्रगिसट एंड केमिस्ट एसोसिएशन के सदस्य यह मांग करते हैं कि, एफएसएसआई के ( जिसमें औषधि एवं खाद्य विभाग के अधिकारियों) के साथ-साथ जीएसटी विभाग के अधिकारियों को भी इसमें सम्मिलित कर कस्बे एवं देहातों के स्टोर पर लगातार चेकिंग करवाई जाए। जिससे बिना बिल के व डिस्काउंट के साथ जो लोग दवा बेच रहे हैं, उनकी जांच हो। इसके अलावा सभी मेडिकल स्टोर के साइन बोर्ड पर ड्रग लाइसेंस वैधता सहित फार्मासिस्ट का नाम रजिस्ट्रेशन सहित अंकित करने का निर्देश दिया जाए। जिससे बिना लाइसेंस वाले स्टोर की आसानी से पहचान हो सके। जबकि, जिन दवा व्यापारियों के कंप्यूटर के बिल लाइसेंस लेते वक्त लगा रखे हैं। उनके द्वारा हाथ के कटे हुए बिल वैलिड ना माने जाए और 31 मार्च 2025 तक जिले में कार्यरत दवा लाइसेंस होल्डरों की लिस्ट जारी की जाए। जबकि, दवा के रूप में जो फूड प्रोडक्ट जैसे कैप्सूल, सिरप, टैबलेट, को दवा के रूप में बेचा जा रहा है, उसकी गुणवत्ता की जांच नियमित हो और पहले जो सैंपलिंग हुई थी, उसकी जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। वहीं, रिटेल मेडिकल स्टोर पर जो फार्मासिस्ट काम कर रहा है, वह एप्रेन पहनकर अपने नाम का बैज लगाए। जिससे फार्मासिस्ट की पहचान हो।
उन्होंने बताया कि, अभी कुछ दिन पहले 20 लाख रुपए की नशीली दवाई पकड़ी गई है, उसको उन्होंने कहां से खरीदा और किन-किन लोगों को बेचा गया। उसकी भी जांच की जाए। ताकि, जो लोग नियम अनुसार दवाई बेच रहे हैं, व अपना व्यापार ईमानदारी से कर रहे हैं। उनका उत्साह संवर्धन हो सके।