पठन एवं लेखन की प्रक्रिया विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन
शारदा रिपोर्टर मेरठ। विधि अध्ययन संस्थान, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ में कानूनी लेखों और पुस्तकों के शोध, पठन एवं लेखन की प्रक्रिया विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता पेरू के विश्व प्रसिद्ध विधि विशेषज्ञ एवं शोधकर्ता जॉर्ज इसहाक टोरेस मैनरिक रहे।
व्याख्यान के दौरान जॉर्ज इसहाक टोरेस मैनरिक ने कहा कि कानूनी लेखन एक विशिष्ट कला है, जिसमें गहन शोध, तार्किक विश्लेषण, सटीक भाषा और प्रमाणिक संदर्भों का समावेश आवश्यक होता है। उन्होंने कानूनी लेखों एवं पुस्तकों के लेखन की प्रक्रिया को विभिन्न चरणों में समझाया।
उन्होंने बताया कि किसी भी कानूनी लेख या पुस्तक के लिए विषय चयन सबसे महत्वपूर्ण चरण है। विषय ऐसा होना चाहिए, जो समसामयिक, प्रासंगिक और समाज, न्यायपालिका, विधायकों तथा कानूनी पेशेवरों के लिए उपयोगी हो। कानूनी शोध के लिए प्राथमिक एवं द्वितीयक स्रोतों का अध्ययन आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, भारतीय संवैधानिक कानून पर लेख लिखते समय भारतीय संविधान की धाराओं, अनुच्छेदों और सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट के ऐतिहासिक निर्णयों को पढ़ना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी बताया कि शोध सामग्री एकत्र करने के बाद लेखन की रूपरेखा तैयार करना आवश्यक होता है, जिसमें परिचय, मूल विषय-वस्तु, विश्लेषण, निष्कर्ष और संदर्भ शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त, लेखन के बाद संपादन और समीक्षा करना अत्यंत आवश्यक होता है ताकि भाषा, व्याकरण और तथ्यात्मक त्रुटियों को दूर किया जा सके।
उन्होंने 140 से अधिक पुस्तकें और शोध ग्रंथ प्रकाशित किए हैं, जो 15 देशों में प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हुए हैं। वे 20 से अधिक देशों में वैश्विक कानूनी सम्मेलनों का आयोजन कर चुके हैं, जिसमें 3,000 से अधिक वक्ताओं और 150 से अधिक विश्वविद्यालयों ने भाग लिया है। उन्हें दुनिया के प्रमुख न्यायविदों और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों से मान्यता एवं समर्थन प्राप्त है। वे संवैधानिक, पर्यावरण, मानवाधिकार, डिजिटल विधि, और सार्वजनिक प्रशासन जैसे विषयों पर वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहे हैं।