Home Hindi Kahaniya एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी का भाग-8, पढ़िए…

एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी का भाग-8, पढ़िए…

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तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी
तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी---

कहानी का पढ़िए अगला सीन-

अरुण खरे ( कानपुर )
अरुण खरे ( कानपुर )

सीन (अगला)

   मलाड की नेवी कालोनी में रेलवे का रिजर्वेशन हाल के अन्दर रिजर्वेशन की दो विन्डो हैं। विन्डो नम्बर एक व विन्डो नम्बर दो। सुबह का पांच बजा है। दोनों विन्डो की लाइन में करीब 18 से 20 आदमी खड़े हैं। रिजर्वेशन हाल के अन्दर लोगों का आना जारी है। लोग हाल के अन्दर आकर जिस विन्डो में लाइन कम दिखाई देती है। उसी लाइन में आकर खड़े हो जाते हैं। अजय दौड़ता हुआ आकर रिजर्वेशन हाल के अन्दर प्रवेश करता है। और कुछ सेकेंड ठहरकर इधर-उधर देखते हुए विन्डो नम्बर एक की लाइन में आकर खड़ा हो जाता है।

 

अजय : (अपने आगे लगे आदमी से बात करते हुए) यहाँ तो भाईसाहब बड़ी गनीमत है। ज्यादा भीड़ भी नहीं है और विन्डो भी दो हैं। कम से कम यहां पर अन्धेरी स्टेशन की तरह मारा मारी तो नहीं होगी।

 

आगे खड़ा आदमी : हां भाईसाहब, यहां पर थोड़ा सुकून रहता है।

 

सीन (अगला)

  मोटा आदमी हांफता हुआ हाल के अन्दर प्रवेश करता है। और इधर उधर अपनी नजरें घुमाते हुए विन्डो नम्बर एक की लाइन में अजय के बाद लगे दो आदमियों के पीछे खड़ा हो जाता है। मोटे आदमी के लाइन में खड़े होते ही उसकी तोंद का धक्का खाकर आगे लगा आदमी आगे की तरफ गिरता है। जिससे लाइन में आगे की ओर लगे सारे आदमी लड़खड़ा जाते हैं। आगे की ओर लाइन में लगा एक आदमी लड़खड़ा कर अपने को संभालते हुए –

 

आगे खड़ा आदमी : (पीछे की ओर देखकर) कौन है भइया, धक्का काहे दे रहे हो।

 

मोटे आदमी के आगे खड़ा आदमी : (मोटे की ओर इशाराकर) कोई नहीं भइया, ये मेरे पीछे जो पहलवान खड़े हैं। इनकी तोंद का अभी हम झटका खा गए थे। इसी वजह से मेरे साथ पूरी लाइन लड़खड़ा गई।

 

   (अजय मोटे आदमी को देखकर हंसता है।)

 

आगे खड़ा आदमी : अच्छा तो ये बात है। अरे भाई पहलवान से कहो थोड़ा दूरी बनाकर खड़े हों। नहीं तो फिर से झटके का कम्पन आगे तक न आ जाए।

 

मोटा आदमी : (आगे खड़े आदमी की ओर देखकर) आप परेशान मत होइए। हम दूरी बनाए खड़े हैं।

 

अजय : (अपने आगे खड़े आदमी से) भइया कल अन्धेरी स्टेशन में यही पहलवान धमाचौकडी मचाएं हुए थे। लगता है इनको भी वहां टिकट नहीं मिल पाया। इसलिए आज यहां टिकट आजमाने चले आए हैं मेरी तरह।

 

मोटे आदमी की बराबरी से खड़ा आदमी : (मोटे आदमी से) अरे पहलवान भाई बड़े खाए पिए लगते हो। क्या दंगल में कुश्ती लड़ा करते हो।

 

मोटा आदमी : (आंखें तरेरते हुए अपनी भौहें चढ़ाकर) तेरे बाप का दिया हुआ नहीं खाता हूँ। अपना माल खाता हूँ अपना। फिर तुझे क्या, माल खाता हूँ तभी खाया पिया सा दिखाई देता हूँ।

 

मोटे आदमी के बराबरी से खड़ा आदमी : अरे पहलवान जी आप तो नाराज हो रहे हैं। मेरे कहने का मतलब यह है कि माल खाने से आपका शरीर बड़ा बेडोल हो गया है। ऐसा नहीं होना चाहिये था।

 

मोटा आदमी : हां तेरी यह बात मानता हूँ कि मेरा शरीर थुलथुल हो गया है। ऐसा स्वास्थ्यवर्धक कैप्सूल खाने से हो गया है। लगता है कैप्सूल रिएक्शन कर गया, नहीं तो पहले तेरे जैसा ही दिखता था।

 

अजय : देखा भइया स्वास्थ्यवर्धक कैप्सूल का कमाल। स्वास्थ्यवर्धक कैप्सूल खाओ और अपना बोझा लेकर दूसरों पर बोझ बन जाओ।

 

   (अजय की बात पर लाइन में लगे आदमी हंसते हैं।)

 

मोटे आदमी की बराबरी से खड़ा आदमी : अरे भइया कहीं स्वास्थ्यवर्धक कैप्सूल खाने से स्वास्थ्य बनता है। ये कैप्सूल बहुत ही हानिकारक होते हैं। शरीर में चर्बी चढ़ाकर शरीर को थुलथुल कर देते हैं। अगर स्वास्थ्य ही बढ़ाना है तो इन्सान को हरी सब्जियां, फल और मेवे खाने चाहिए। साथ ही टहलना और कसरत करना अति आवश्यक है। तभी शरीर सुडौल रहता है

 

मोटा आदमी : (अपनी बराबरी से खड़े आदमी की पीठ थपथपाते हुए) बहुत कायदे की बात करते हो जनाब। (फिर सबकी ओर देखते हुए) हां भाईयों मेरी तरह स्वास्थ्यवर्धक कैप्सूल न खाना। नहीं तो मेरी तरह बेडोल हो जाओगे।

 

 

सीन (अगला)

लाइनों में लगे लोग अपनी अपनी जगह खड़े हैं। आने वाले लोग लाइन में आकर खड़े हो रहे हैं। साउथ इन्डियन का हाल के अन्दर प्रवेश होता है। एक नम्बर विन्डो की लाइन में लगे मोटे आदमी की नजर साउथ इन्डियन पर पड़ती है। साउथ इन्डियन को देखकर मोटा आदमी खुश हो जाता है। मोटा आदमी लाइन से निकलकर साउथ इन्डियन के पास जाकर –

 

मोटा आदमी : (खुश होते हुए) अरे अपने तुम भी यहां आ गए।(साउथ इन्डियन मोटे आदमी को देखकर बहुत जोर से चौंकता है।)

 

साउथ इन्डियन : (मोटे आदमी की ओर देखकर) हां मोटा भाई मैं भी आ गया।

 

मोटा आदमी : अब तो टिकट लेने का मजा आ जाएगा। हमारा जान पहचान का चलो तुम तो मिला। (साउथ इन्डियन का हाथ पकड़कर अपनी लाइन की ओर ले जाते हुए) चलो आओ अपने, हम तुमको अपनी लाइन में अपने पास खड़ा करवाता हूँ।

 

साउथ इन्डियन : (अपने कदम रोकते हुए) आइ ओ अम तुम्मारे पास नई खड़ा होने का। मोटा भाई अमको माफ करने का। अम नई खड़ा हो सकता तुमारे पास।

 

मोटा आदमी : अरे यार तुम भी अजीब आदमी हो। हम अपना समझकर लाइन में तुमको अपने पास खड़ा करना चाहते हैं। और तुम हो कि मुझसे दूर भाग रहे हो। (हाथ पकड़कर खींचते हुए) यार क्या मेरे कांटे लगे हैं।

 

साउथ इन्डियन : आइ ओ कांटे की बात करता जी (मोटे की तोंद की ओर इशाराकर) तो तुमारा सबसे बड़ा कांटा तुमारा तोंद होता जी। ये कांटे की तरा चुभता जी। (अपनी पीठ घुमाकर अपना हाथ फेरते हुए) देको न जी, ये मेरा पीठ तुमारी तोंद का झटका खाके कल से आज तक दर्द करता जी। अब तुमारी तोंद का झटका फिर से नई खाने का जी।

 

   (मोटे आदमी और साउथ इन्डियन के बगल में खड़े दो लड़के जो दोंनो की बातें खड़े खड़े सुन रहे हैं। दोनों लड़के साउथ इन्डियन को देखकर आपस में बात करते हैं –

 

पहला लड़का : (दूसरे लड़के से) अरे यार बहुत मजा आ रहा है मद्रासी की भाषा सुनकर।

 

दूसरा लड़का : (पहले लड़के से) मद्रासी हिन्दी बोल रहा है जोक्स की तरह। मुझे भी मजा आ रहा है।

 

साउथ इन्डियन : (दोनों लड़कों की ओर देखकर) आइ ओ जी तुम मेरे हिन्दी बोलने को जोक्स बोलता जी। अम एकदम शुद्ध हिन्दी बोलता जी। तुम लोग क्या करता जी कि हिन्दी में बिन्दी लगाके बोलता जी। (मोटे आदमी की ओर देखकर) अच्छा मोटा भाई अम तुमारे पास नई खड़ा होगा जी। (विन्डो नम्बर दो की लाइन की ओर इशाराकर) अम उस लाइन में जाके खड़ा होता जी।

 

 (साउथ इन्डियन दो नम्बर लाइन में जाकर खड़ा हो जाता है और मोटा आदमी अपनी लाइन में जाकर अपनी जगह लगने को करता है तो लाइन में उसकी जगह लगे आगे पीछे के आदमी अपनी लाइन से अलग होकर मोटे आदमी को लाइन में लगने के लिये जगह देते हुए आपस में बात करते हैं –

 

मोटे आदमी के आगे पीछे लगे आदमी : (लाइन से अलग होते हुए आपस में हंसकर बात करते हुए)  आगे वाला जल्दी से अलग हो लेव भइया। इसमें भलाई अपनी है। पीछे वाला हां भइया सबसे ज्यादा नुकसान तुमही को होता। अगर  तोंद का झटका खा जाते। आने वाले भूचाल को भांपकर भइया तुमने लाइन से अलग होकर पहलवान जी को जगह देने के लिए बड़ी समझदारी का परिचय दिया है।

 

  (मोटा आदमी लाइन में अपनी जगह लग जाता है। मोटे के लाइन में लगते ही उसके आगे पीछे वाले आदमी भी जगह कम होने की वजह से लोगों को ठेलते हुए अपनी अपनी जगह खड़े हो जाते हैं।)

 

 

                   सीन (अगला)

रिजर्वेशन हाल के अन्दर थोड़ी ही देर में सलवार सूट पहने व कन्धे में पर्स लटकाए हुए रूपा प्रवेश करती है। हाल के अन्दर आकर रूपा दोनों लाइनों के बीच पीछे की ओर थोड़ा ठहरकर इधर-उधर निगाह डालती है। फिर विन्डो नम्बर दो की लाइन में पीछे खड़ी हो जाती है अजय अपनी लाइन में खड़ा हुआ अचानक दो नम्बर लाइन के पीछे की ओर देखता है। अजय की निगाहें रूपा पर जाकर टिक जाती हैं। फिर रूपा की निगाहें जैसे ही अजय के ऊपर पड़ती हैं। रूपा अजय को देखकर मुस्काती है। अजय अपनी लाइन छोड़कर रूपा के पास जाकर –

 

अजय : (मुस्कराकर) अरे आपको भी आना पड़ गया यहां।

 

रूपा : (मुस्कराकर) जी बिलकुल आप ही की तरह मुझे भी यहां आना पड़ गया। क्योंकि कल मेरा टिकट भी नहीं हो पाया था। इसलिए सोचा चलो यहां से टिकट के लिए आसानी हो जाएगी और शायद आपसे मुलाकात भी।

 

अजय : (हंसते हुए) अच्छा..अच्छा चलो अच्छा हुआ कम से कम इसी बहाने दुबारा आपसे मुलाकात तो हुई।

 

रूपा : (मुस्कराकर) जी।

 

 (इसी बीच अधेड़ हाल के अन्दर प्रवेश करता है और अपने हाथ में टिकट लिए हुए अजय और रूपा के पास आकर –

 

अधेड़ व्यक्ति : (अजय को टिकट दिखाते हुए) भाईसाहब कानपुर की बनवाई थी। बना दी नागपुर की। आपको चाहिए का।

 

अजय : (अधेड़ का हाथ पकड़कर आगे की ओर करते हुए) जाओ आगे जाकर किसी और से पूछो। हमको नहीं चाहिए।

 

अधेड़ व्यक्ति : (आगे जाते हुए फिर वापस मुड़कर अजय के पास आकर) नहीं चाहिए तो कोई बात नहीं, पर ये तो बता दो की नागपुर से कानपुर बस कितने बजे चलती है और कितने घन्टे लेती है।

 

अजय : (बौखलाकर) अरे यार तुम तो हाथ धोकर मेरे पीछे यहां भी पड़ गए। तुम्हारे पास और कोई काम नहीं है क्या। अरे गलत टिकट बना दी है तो वापस कर दो। नहीं तो कोई जरूरत मन्द मिले उसे दे दो।

 

अधेड़ व्यक्ति : भाईसाहब जबसे टिकट बना है। जरूरतमंद ही तलाश रहे हैं और साथ में बस की नागपुर से कानपुर की समय सारणी भी जान रहे हैं। पर आप लोग जाने क्यों हमको इस तरह डांट रहे हैं।

 

अजय : (अधेड़ व्यक्ति के हाथ जोड़कर) अच्छा भाई अब थोड़ा हवा भी आने दो।

 

  (अधेड़ व्यक्ति आगे बढ़ जाता है। अधेड़ को जाता देख रूपा हंसती है। रूपा को हंसते देख अजय को भी हंसी आ जाती है।

 

अजय : (हंसते हुए रूपा की ओर देखकर) क्या सिरफिरा इन्सान है। रोज हाथ में टिकट लिए नागपुर का यात्री तलाशता है।

 

 

( इंतजार करें आगे की कहानी आपको अगले सीन में बताएँगे)

 

कहानी का भाग-1

कहानी का भाग-2

कहानी का भाग-3

कहानी का भाग-4

कहानी का भाग-5

कहानी का भाग-6

कहानी का भाग-7

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