Tuesday, April 22, 2025
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जिला अस्पताल में लावारिस मरीजों की सेवा कर रहा नर्सिंग स्टॉफ

– जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती है चार मरीज
– एक माह से नर्सिंग स्टॉफ दे रहा अपनों से प्यार


प्रेमशंकर, मेरठ। सरकारी अस्पतालों में अक्सर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार के साथ अनदेखी होने की खबरें सामनें आती रहती है। कई बार सरकारी अस्पतालों के स्टॉफ पर यह भी आरोप लगते है कि वह यहां आने वाले मरीजों की ठीक से देखभाल नहीं करते। लेकिन जिला अस्पताल का नर्सिंग स्टॉफ इस तरह के आरोप लगाने वाले लोगों के लिए एक मिसाल बन गया है। आइसोलेशन वार्ड में चार ऐसे मरीज भर्ती है जिनकी कोई पहचान नहीं है। पुलिस या कोई अनजान उन्हेंं यहां छोड़कर चला गया, जिसके बाद यहां के स्टॉफ ने इन लोगों को अपने परिवार का सदस्य समझते हुए जो सेवा भाव दिखाया उसके लिए कोई शब्द नहीं है।

प्यारे लाल जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में बीते 25 दिसंबर से अमित नाम का मरीज इलाज के लिए भर्ती है। वार्ड के स्टॉफ का कहना है मरीज ने बड़ी मुश्किल से अपना केवल नाम बताया है। जबकि वह कभी खुद को पुरानी दिल्ली का रहने वाला बताता है तो कभी किसी और जगह का। उसे कोई अनजान व्यक्ति नशे की हालत में यहां छोड़कर चला गया। जिसके बाद वार्ड ब्वाय बंटी व उसकी सहयोगी नर्स ने अमित को वार्ड में भर्ती कर लिया। तभी से वह यहां रह रहा है, अस्पताल का नर्सिंग स्टॉफ ही उसकी देखभाल कर रहा है। नहलाना-धुलाना, रोजाना की आम दिनचर्या समेत खाने-पीने से लेकर दवा देने की पूरी जिम्मेदारी यहां का नर्सिंग स्टॉफ निभा रहा है।

इसी तरह एक महिला जो अपना नाम संगीता बताती है वह भी लंबे समय से इसी वार्ड में भर्ती है। उसे भी कोई अनजान घायल अवस्था में अस्पताल के बाहर छोड़ गया था। जबकि ऐसे भी दो मरीज यहां भर्ती है जिनका नाम-पता तक किसी को मालूम नहीं है। लेकिन जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड का स्टॉफ इनकी पूरी तरह देखभाल कर रहा है।

 

– कैसे हो इनकी पहचान?

इस तरह के हालात केवल जिला अस्पताल में ही नहीं है, बल्कि मेडिकल कॉलेज के लावारिस वार्ड में भी कई ऐसे मरीज भर्ती है जिनकी कोई पहचान नहीं है। यहां भी वार्ड का नर्सिंग स्टॉफ इन मरीजों की देखभाल कर रहा है। यहां तक की कुछ मरीजों को तो नाम भी यहां के स्टॉफ ने रखें हैं। जिला अस्पताल की प्रमुख अधिक्षक डा. इश्वरी देवी बत्रा का कहना है इस तरह के मरीजों को भर्ती करने के बाद अस्पताल का स्टॉफ ही इनकी हर जिम्मेदारी निभाता है। मरीजों के बारे में संबंधित थाने को भी जानकारी दी जाती है। अब पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह इनकी पहचान कर इन्हेंं परीजनों तक पहुंचाए।

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