– ब्राह्मण स्वाभिमान रैली भी लोकसभा चुनाव को लेकर दबाव बनाने की कवायद
– जाट, ठाकुर और त्यागियों के बाद अब ब्रा्हमण भाजपा पर बना रहे जोर
अनुज मित्तल, मेरठ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर राजनीतिक दल जहां अपने अपने तरीके से तैयारियों में जुटे हैं, वहीं चुनाव लड़ने की महत्वकांक्षा पाले नेता अपनी जातियों के सिरमौर बनकर जातीय स्वाभिमान रैली के नाम पर राजनीतिक दलों पर दबाव बनाने की कवायद में जुटे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मेरठ राजनैतिक क्षेत्र की राजधानी है। हर कोई मेरठ में आकर ही हुंकार भरता है। करीब तीन माह पहले जाट बिरादरी ने अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के नाम पर अपने राजनीतिक वजूद को बचाने की हुंकार भरी थी। भाजपा के सांसद और केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान प्रमुख थे। इसके बाद अक्तूबर में क्षत्रिय समाज द्वारा मेरठ और सहारनपुर मंडल के क्षत्रिय समाज के लोगों की महापंचायत हुई। इसमें भी क्षत्रिय बिरादरी को उनकी संख्या के आधार पर लोकसभा में प्रतिनिधित्व देने की मांग उठी।
अब रविवार को ब्राह्मण समाज ने भी स्वाभिमान रैली के नाम पर सम्मेलन किया। इसमें भी अपना सम्मान बचाने के लिए राजनीति में अहम हिस्सेदारी को लेकर ही चर्चा हुई। तीनों सम्मेलनों की अहम बात ये रही कि इनके आयोजक ही कहीं न कही मुख्य अतिथि बनकर आए और अपने लोगों के माध्यम से अपनी दावेदारी की आवाज बुलंद कराई।
रविवार को ब्राह्मण समाज स्वाभिमान रैली के मुख्य कर्ताधर्ता पं. अजय भराला थे और मुख्य अतिथि के रूप में उनके भाई पं. सुनील भराला थे। बाकी महामंडलेश्वर आदि सब वक्ता और विशिष्ट अतिथि थे। वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि ब्राहमणों की राजनीति में हिस्सेदारी को और बढ़ाया जाए। सभी ने पं. सुनील भराला को मेरठ सीट से प्रत्याशी बनाए जाने की भी वकालत पुरजोर तरीके से की। इससे स्पष्ट हो गया कि यह सम्मेलन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा था।
लोकसभा चुनाव 2024 अप्रैल में संभावित है। ऐसे में तय है कि अभी और भी जातियां दबाव की राजनीति करेंगी। सभी के सम्मेलन होंगे और यह भी लगभग तय है कि सभी की राजनीति का केंद्र मेरठ ही रहेगा। क्योंकि मेरठ जनपद से ही आसपास के तमाम जनपदों के साथ ही सहारनपुर और मुरादाबाद तक की राजनीति प्रभावित होती है।