विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर पूर्व कुलपति के खिलाफ 2018 में हुई थी रिपोर्ट दर्ज
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. एसपी ओझा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट के आदेश पर विजिलेंस फिर से जांच करेगी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता डॉ. संदीप पहल ने इसको लेकर अपर सत्र विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण मेरठ के प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की। कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान मेरठ को पुन: मामले की विवेचना करने के आदेश दिए हैं।
उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान मेरठ सेक्टर की तरफ से दर्ज एफआईआर के मुताबिक साल 2009 में राज्यपाल के प्रमुख सचिव की तरफ से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. संत कुमार ओझा (एसपी ओझा) के खिलाफ खुली जांच के आदेश दिए गए थे। विजिलेंस की जांच में सामने आया कि डॉ. पहले मामले में डॉ. एसपी ओझा और तत्कालीन कुलसचिव संजीव कुमार शर्मा ने आईएमआर संस्थान दुहाई गाजियाबाद के प्रकरण में नियमों की अनदेखी करके संस्थान को पांच वर्षीय एमटेक पाठ्यक्रम की संस्तुति कर दी।
विजिलेंस ने एसपी ओझा को इस मामले में धारा 13 (1) डी सपठित धारा 13 (2) भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 के तहत दोषी माना। दूसरे मामले में एसपी ओझा ने उत्तर प्रदेश विवि अधिनियम 1973 की धारा-13 (6) में शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए विवि के राजनीतिक विज्ञान विभाग में तैनात उप प्राचार्य डॉ. संजीव शर्मा को निजी लाभ के लिए कुलसचिव नियुक्त कर दिया।
विजिलेंस की रिपोर्ट के आधार पर एसपी ओझा के खिलाफ थाने में 2018 में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी। विजिलेंस विभाग की तरफ से बाद में फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई।