- दाम गिरने के साथ सब्जी उत्पादकों को लगा बड़ा झटका,
- लागत भी निकालना हुआ मुश्किल,
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। एक सप्ताह में सब्जियों की कीमतों में काफी गिरावट आई है। आम लोगों को इससे राहत मिली, लेकिन किसानों पर आफत आ गई। खेत से मंडी तक सब्जी ले जाकर बेचने में खर्च नहीं निकल पा रहा है।
गोभी और गाजर की मंडी में आवक की स्थिति यह है कि खरीदार नहीं मिल रहे। दोनों के उत्पादक किसानों को खेत में ही फसल की जुताई कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। गाजर उत्पादक किसानों ने व्यापारियों और ग्राहकों को खेत से गाजर उखाड़ने के आॅफर दे दिया है। सर्वाधिक कीमत मटर, गोभी, लहुसन की गिरी है। पालक, अदरक की कीमतें भी धड़ाम हुई हैं। हरी प्याज, धनिया को खरीदार नहीं मिल रहे। लौकी की आवक अधिक है, लेकिन थोक मंडी में मुश्किल से किसानों की फसल बिक पा रही है।
थोक सब्जी व्यापारियों का मानना है मंडी में लोकल सब्जियों की आवक अत्याधिक हो रही है। जितनी आवक है, उसके आधी भी मांग नहीं है। थोक सब्जी व्यापारियों की मानें तो किसानों का मंडी तक सब्जी लाने और बेचकर जाने का खर्च तक नहीं निकल पा रहा।
थोक सब्जी विक्रेता
सरफराज अंसारी का कहना है कि पिछले पांच-सात दिनों में हरी सब्जियों की कीमत तेजी से गिरी है। लोकल सब्जियां बड़ी मात्रा में मंडी पहुंच रही हैं। मांग कम होने से कीमतें गिर रहीं हैं। वहीं, गोभी-गाजर के किसान खेत में फसल की जुताई कर रहे हैं
वहीं सब्जी उत्पादक गौरव सिंह का कहना है कि हरी प्याज की कीमत थोक सब्जी मंडी में पिछले तीन-चार दिन में गिरकर आधी रह गई है। 20 से 40 रुपये किलो के बीच बिकने वाली हरी प्याज शुक्रवार को मात्र 15 रुपये किलो के भाव में मुश्किल से बिक पाई।