मेरठ। वाल्मीकि महासभा ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में संदेशखाली प्रकरण में महिलाओं और परिवारों पर हो रहे अत्याचार और उत्पीड़न मामले में जांच किसी दूसरे राज्य में कराने की मांग की है।

महासभा के महानगर अध्यक्ष आचार्य राजकुमार वाल्मीकि ने कहा कि संदेशखली में महिलाओं पर और परिवारों पर हो रहे अत्याचारों के हम निषेध करते है। 47 दिन पहले ईडी के अधिकारियों पर हमला होने के बाद संदेशखली घटनाएं सामने आ सकी। बच्चों और महिलाओं के साथ बर्बरता पूर्वक व्यवहार, यौन उत्पीडन, मार पीट की अनेकों घटनाएं लगातार निकलकर सामने आ रही हैं। केवल पश्चिम बंगाल प्रशासन और पुलिस विभाग की नाकामी का यह नमूना नहीं है। इसमे धार्मिक और राजनीतिक मुद्दे भी है।

इन घटनाओं में पश्चिम बंगाल की महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा की चिंताजनक स्थिति सामने आई है। स्थिति इतनी भयानक है कि कई दिनों से हो रहे अत्याचारों की घटनाओं के बाद भी पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की थी।

आर्थिक, राजनैतिक तथा धार्मिक मुद्दों में महिलाओं कों साधन बनाना अपमानजनक, और निंदाजनक है। हम इन घटनाओं का निषेध करते है।

उन्होंने महासभा की तरफ से मांग उठाते हुए कहा कि लोकतंत्र में हो रहे महिला एवं मानवाधिकारों के उल्लंघन पर तुरंत कड़ी कारवाई कि जाए, सभी पीड़ित महिलाओं, बच्चों एवं परिवारों को सुरक्षा एवं आर्थिक सहायता तुरंत प्रदान की जाए, महिलओं पर होने वाले इन अत्याचारों कि कैमरों के सामने पूछताछ की जाए। इसके अलावा महिलओं का मनोबल बना रहे, इसके लिए उन्हें शासन द्वारा प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा परामर्श की सेवा उपलब्ध कराई जाए।

उन्होंने कहा कि इन विशिष्ट घटनाओं पर बोलने के लिए तकार करने के लिए एक स्वतंत्र हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध करवा देना चाहिए। जिससे महिलाएं बिना किसी डर के अपनी बात कह सके। निष्पक्ष जांच के लिए इस मामले को दुसरे राज्य में स्थानांतरित किया जाए। वहीं राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग द्वारा दखल देने का हम स्वागत करते हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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