अनुज मित्तल, मेरठ- लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के भीतर भाजपा का हश्र सभी देख चुके हैं। इसके पीछे के जो कारण हैं, उनमें एक बड़ा कारण भाजपा के आला नेताओं और प्रदेश सरकार के मंत्रियों का रवैया है। जिन पर लगातार आरोप लगते रहते हैं। लेकिन इसमें सुधार के बजाए और ज्यादा मामला खराब होता जा रहा है।
मेरठ से इस समय प्रदेश सरकार में मेरठ के दो मंत्री हैं। दोनों ही मंत्री किसी न किसी मामले को लेकर विवादों में रहते हैं। फिलहाल ताजा मामला गन्ना समिति चुनाव को लेकर चल रहा है। जिसमें मवाना में राज्यमंत्री दिनेश खटीक पर खुले आरोप लग रहे हैं, तो मेरठ में राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर पर आरोप लग रहे हैं। इन दोनों ही सहकारी समितियों में थोक में पर्चे निरस्त होने का आरोप लगाते हुए किसान आंदोलन की राह पकड़ चुके हैं। दूसरे जनपदों से भी ऐसे ही मामले सामने आ रहे हैं। जबकि दौराला क्षेत्र में सरधना के नेताओं और पूर्व विधायक के बीच ही खींचतान चल रही है।
दूसरे मामले भी हैं चर्चा में
भाजपा विधायक और राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के खिलाफ विनायक कॉलोनी का मामला लगातार चल रहा है। इसमें मुख्यमंत्री जांच के आदेश कर चुके हैं। वहीं फफूंडा में युवती की अश्लील फोटो वायरल होने और युवती द्वारा आत्महत्या का मामला अब गहरा चुका है। इसमें ब्राह्मण समाज खुलकर सामने आ गया है। जिसमें रविवार को हुई ब्राह्मण समाज की पंचायत में राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर पर खुलकर सजातीय आरोपियों को संरक्षण देने का आरोप लगा है। जबकि इसी मामले में राज्यसभा सांसद डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी तीन दिन पहले लोहिया नगर एसओ को आरोपियों की गिरफ्तारी न होने पर फटकार लगा चुके हैं।
इन मामलों से बिगड़ रही साख
भाजपा की 2017 वाली सरकार की तुलना यदि वर्तमान सरकार से करें तो मामला बिलकुल विपरीत नजर आता है। इस बार भाजपा के आला नेता और मंत्री पूरी तरह निरंकुश नजर आ रहे हैं। जिससे लगातार भाजपा की साख गिरती जा रही है।
इस चुनाव में जो माहौल बनकर आ रहा है, उससे किसानों के साथ ही आम ग्रामीणों की नाराजगी भी बढ़ती जा रही है। जिससे कहीं न कहीं इसका असर उपचुनाव में जरूर नजर आएगा।