– लगातार संगठन में सक्रियता और बेदाग चेहरा होने के चलते बने भाजपा महानगर अध्यक्ष।
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। भाजपा ने रविवार को मेरठ में विवेक रस्तोगी को महानगर अध्यक्ष घोषित कर दिया। लेकिन जिलाध्यक्ष के नाम पर सस्पेंस बरकरार है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक किसी भी समय जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा की जा सकती है। इसको लेकर मंत्री-विधायक और पदाधिकारी अपने-अपने दावेदार की मजबूत पैरवी में जुटे हैं। वहीं, महानगर अध्यक्ष बने विवेक रस्तोगी पर राम मंदिर आंदोलन के दौरान सपा सरकार ने टाडा लगवाया था। उस समय विवेक रस्तोगी की उम्र मात्र 18 साल थी।
महानगर अध्यक्ष बनाए गए विवेक रस्तोगी लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। विवेक रस्तोगी बताते हैं कि 1989 में राम शिलाओं का पूजन का कार्यक्रम चल रहा था। उसी समय उनको स्टीकर दिए गए थे, जो घर-घर जाकर लगाए जाते थे। 50 पैसे या एक रुपया इकट्ठा किया जाता था। जेल भरो आंदोलन में उनको एक विद्यालय में अस्थाई रूप से बनी जेल में रखा गया था। यह जानसठ में डीएवी स्कूल था, जहां पर उस समय के एसडीएम ने आकर कार सेवकों पर लाठीचार्ज कर दिया था, जिसमें उनको भी लाठी लगी थी।
सन 1990 में कार सेवकों के अस्थि कलश मेरठ आए थे, जिनको जगह-जगह ले जाया जाना था। इस कार्यक्रम का रूट प्रशासन के साथ बैठकर निर्धारित किया गया था। लेकिन निर्धारित रूट पर वह अस्थि कलश लेकर न जा सके। जिसके कारण विवाद हुआ और पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया। परतापुर थाने में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की हत्या कराने की साजिश रचने के आरोप में टाडा (आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियां (रोकथाम) कानून लगा दिया। लेकिन भाजपा सरकार आने के बाद उन्हें इस मामले में क्लीनचिट मिल गई।
वैश्य चेहरे को ही दिया जाना था प्रतिनिधित्व: भाजपा महानगर अध्यक्ष पद के लिए अधिकांश वैश्य चेहरे पर ही दांव लगाती रही है। लेकिन इस बार ब्राह्मण और वैश्य के बीच खींचतान चल रही थी।
जिसमें महिला मोर्चा की नेता वर्षा कौशिक का नाम सबसे ऊपर चल रहा था। लेकिन अंतिम समय में वैश्य समाज की दावेदारी को मजबूत मानते हुए युवा और सक्रिय होने के साथ ही बेदाग छवि के विवेक रस्तोगी बाजी मार ले गए।
प्रशासनिक कार्याें में महारथ: विवेक रस्तोगी भाजपा की तरफ से मुख्य रूप से प्रशासनिक कार्य देखते आ रहे हैं। चुनाव हो या चुनावी रैली, सभी में विवेक रस्तोगी प्रशासनिक अनुमति से लेकर अन्य तमाम व्यवस्थाओं के प्रमुख रहते हैं। उनकी चुनाव कार्यालय से लेकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों के बीच खासी पकड़ है।
जिलाध्यक्ष को लेकर पार्टी में मंथन जारी: मेरठ में जिलाध्यक्ष को लेकर पार्टी में मंथन जारी है। वर्तमान में जिलाध्यक्ष शिव कुमार राणा ठाकुर बिरादरी से हैं। ऐसे में देखना ये है कि पार्टी ठाकुर चेहरा ही लाती है या फिर जाट, गुर्जर, अति पिछड़ा, ब्राह्मण या त्यागी समाज पर दांव लगाया जाता है। इसी समीकरण को लेकर खींचतान चल रही है। हालांकि चर्चा है कि अभी तक सबसे मजबूत दावा शिवकुमार राणा का ही है।