धड़ल्ले से हो रहा पटाखों का भण्डारण, परचून की दुकान से पटाखे जब्त

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  • लोहियानगर धमाके के बाद भी नहीं चेता प्रशासन
  • देहात क्षेत्र में बन रहे पटाखे, पुलिस को खबर तक नहीं।

शारदा न्यूज़, मेरठ। बीती 17 अक्टूबर को लोहियानगर में हुए धमाके को हालांकि एक साबुन फैक्ट्री में हुआ धमाका बताया गया था। लेकिन घटनास्थल से पुलिस व प्रशासनिक टीम को पटाखों का जखीरा मिला था। साथ ही स्थानीय लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की थी कि जिस दुमजलें मकान में विस्फोट हुआ है वहां कफी समय से पटाखें बनाने और जमा करने का काम चल रहा था। लेकिन इस घटना के बाद भी पुलिस-प्रशासन की नींद नहीं टूटी है। अभी भी शहर व देहात के इलाकों में पटाखों के निर्माण और उन्हें स्टोर करने की सूचनाएं मिल रहीं है।

गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले लोहियानगर के एक मकान में जबरदस्त धमाका हुआ था जिसमे पांच मजदूरों की मौत हो गई थी। यह सभी मजदूर बिहार के थे और यहां उन्हें झूठ बोलकर काम पर रखा गया था। इस घटना में पहले तो पुलिस ने धमाके की जगह पर एक साबुन फैक्ट्री होने का दावा किया था। लेकिन घटना स्थल पर बरामद स्काई शाट्स और बच्चों की पिस्टल के कार्टेज मिलने के बाद पुलिस के इस दावे की पोल खुल गई। हालांकि अभी भी मामले की जांच जारी है लेकिन इसको लेकर जिलाअधिकारी ने नाराजगी जताई है।

– देहात में चल रहा अवैध रूप से पटाखे बनाने का धंधा

शहरी क्षेत्र के लोहियानगर एन ब्लॉक में पुलिस ने एक परचून की दुकान से करीब एक लाख रूपये के पटाखे जब्त किये है। यह कोई पहला स्थान नहीं है जहां पटाखों का भण्डारण किया जा रहा है। शहर के कई इलाकों में इसी तरह रोजमर्राह इस्तेमाल में आने वाली चीजों की दुकानों पर पटाखों की बिक्री होती है। इससे पहले इन दुकानों पर पटाखों को जमा किया जाता है। जबकि देहात क्षेत्र के सठला, किठौर, सरधना आदि इलाकों में बड़ी संख्या में पटाखों का निर्माण किया जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन इलाकों में वैसे तो पूरे साल आतिशबाजी का निर्माण होता है लेकिन दीवाली से ठीक पहले यहां पटाखों को आर्डर पर बनाया जाता है।

– छोटे बच्चो को भी किया जात है शामिल

देहात क्षेत्र के जिन इलाकों में पटाखों को तैयार किया जाता है वहां परिवार के छोटे बच्चों को भी काम पर लगाया जाता है। इन बच्चों को बारूद के ढेर पर बैठाकर पटाखें तैयार कराए जाते है। सूत्रों की बात पर अगर भरोसा किया जाए तो पूरे साल में दिवाली से पहले के दिनों में काम ज्यादा रहता है जिससे इन परिवारों को अच्छी कमाई होती है। हालांकि पटाखों के लिए बारूद कहां से और कैसे आता है इसकी जानकारी नहीं हो सकी।

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