नई दिल्ली। कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में जरूरत से ज्यादा सीटें देने के बाद भी हरियाणा और जम्मू में सपा को कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं दी। इसके बाद भी सपा हाथ का साथ नहीं छोड़ रही है। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस की स्थिति कमजोर होते हुए भी उसे जरूरत से ज्यादा सीटें दी थी, लेकिन सवाल यह है कि कांग्रेस अखिलेश यादव के साथ ऐसा क्यों नहीं कर रही है? कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव में सपा को एक सीट भी नहीं दी।
सपा ने हरियाणा में कांग्रेस का साथ देने का फैसला लिया, लेकिन जम्मू कश्मीर में गठबंधन न होने की वजह से सपा ने अपने ही दम पर भी उम्मीदवार उतार दिए। एक और सवाल यह भी है कि कांग्रेस के सपा को सीट न देने के बाद भी सपा उसका साथ छोड़ने का नाम क्यों नहीं ले रही है। हरियाणा में सपा कांग्रेस के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस ने एक भी सीट नहीं दी।
इसके बावजूद भी कांग्रेस का साथ सपा ने नहीं छोड़ा। अखिलेश यादव तो एक बयान में यह कहते भी नजर आए कि समाजवादियों उन्हें दानवीर कर्ण से त्याग करना सीखा है। हालांकि, इसके पीछे तो उनकी रणनीति ही होगी। अखिलेश यादव पार्टी का विस्तार करना चाहते हैं, लेकिन बिना कांग्रेस के साथ के यह हो नहीं पाएगा।
यही कारण है कि कांग्रेस उन्हें सीट नहीं भी दे रही है तो सपा को फिलहाल कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। हरियाणा ही नहीं अखिलेश यादव ने जम्मू कश्मीर में भी कांग्रेस से सीटें मांगी थी, लेकिन यहां भी सपा को झटका मिल गया तो उसने अपने 20 उम्मीदवारों को मैदान में उतार दिया।
हालांकि, इसके पीछे भी अखिलेश यादव की अपनी रणनीतियां है। जम्मू कश्मीर में सपा के प्रत्याशी जीत जाते हैं तो यह अखिलेश यादव के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और अगर नहीं भी जीतते हैं तो भी पार्टी का मत प्रतिशत तो बढ़ेगा ही। यह भी सपा के लिए गुड न्यूज ही होगी। सपा को राष्ट्रीय पार्टी बनाने के लिए अलग-अलग राज्यों में अपना मत प्रतिशत बढ़ाना बेहद जरूरी है। जम्मू हरियाणा से पहले सपा मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस से गठबंधन के साथ चुनाव लड़ना चाहती थी, लेकिन यहां भी कांग्रेसी सपा को झटका दे देती है। तब भी सपा ने 22 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे।