जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन में सामाजिक सहभागिता जरुरी

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  • मेरठ कॉलेज में भूगोल पर राष्ट्रीय सेमिनार संपन्न।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। मेरठ कॉलेज, मेरठ के भूगोल विभाग में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। इस संगोष्ठी का विषय जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाएं: तत्परता, अल्पीकरण और प्रबंधन रणनीतियां था। संगोष्ठी के दूसरे दिन को मिलाकर कुल चार तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।

तीसरे तकनीकी सत्र में विशेषज्ञों ने जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं में वृद्धि और उनके प्रबंधन में तकनीकी नवाचारों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर हारून सज्जाद ने कहा कि जलवायु परिवर्तन न केवल पर्यावरण बल्कि समाज के विभिन्न आर्थिक और राजनीतिक पहलुओं को भी प्रभावित कर रहा है।

इस सत्र में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में किए गए अनुसंधानों और उनकी व्यावहारिक उपयोगिता पर चर्चा की गई। प्रोफेसर राजीव कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आपदा प्रबंधन को प्रभावी बनाने के लिए सामुदायिक भागीदारी और नवीन रणनीतियों का समावेश आवश्यक है।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि भोपाल सिंह (अध्यक्ष, उपभोक्ता फोरम, मेरठ) और प्रोफेसर अरुण कुमार (ए.एस.पी.जी. कॉलेज, मवाना) रहे। भोपाल सिंह ने जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन के संदर्भ में समाज की भूमिका पर बल दिया और कहा कि सभी नागरिकों को अपने पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभानी चाहिए। प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा कि शिक्षा और जागरूकता ही जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान है। विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर अनीता मलिक ने अपने धन्यवाद भाषण मे सभी के सहयोग को सराहा।

 

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