शारदा रिपोर्टर, मेरठ- शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने आज प्रदर्शन कर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। उनका कहना है कि सन् 2015 में भारत सरकार गरीबों के लिए आवास योजना लेकर आई कि सन् 2022 तक सभी शहरी क्षेत्रों में सभी गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर उपलब्ध कराएं जायेंगे। जिसके लिए जिला नगरीय विकास अभिकरण (डूडा) के तहत गरीबों के फार्म भरवाकर घर उपलब्ध कराना था। लेकिन डूडा के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मिलकर मेरठ में गरीबों के साथ खिलवाड़ करते हुऐ, घर ऐसे परिवारों को उपलब्ध करा दिए जो पात्र (गरीब) ना होकर सम्पन्न वर्ग से थे, जिसका सीधा उदाहरण मेरठ में विकसित हो रही झोपडपट्टी के रूप में मलिन बस्तियों को देखा जा सकता है।
झोपड़-पट्टियों में अभी भी रह रहे मेरठ के कई परिवार
उनका कहना है कि यदि डूडा की ओर से सभी गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत घर उपलब्ध कराए गए हैं तो गढ़ रोड स्थित रंगोली मंडप, तेजगढी, हापुड़ रोड, शताब्दी नगर, दिल्ली खरखौदा रोड, टी पी नगर, कैंट में आबू नाले के किनारे आदि क्षेत्रों में झोपड़ पट्टियों में रहने वाले क्या गरीब नहीं है? जबकि इन झोपड़-पट्टी में रहने वाले अधिकांश परिवारों नें प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत डूडा आवेदन फार्म भरकर जमा कराए थे।
सात सालों में गरीबों के नाम पर बड़ा खेल खेला गया
उन्होंने कहा है कि सन् 2015 से सन् 2022 तक मेरठ डूडा कार्यालय में गरीबों के नाम पर बहुत बड़ा खेल हुआ है। डूडा कार्यालय के आशीर्वाद से गरीब आज भी झोपड़ी में है और सम्पन्न वर्ग के परिवारों ने अपने एक से दो घर कर लिए। सन् 2022 के बाद भी मेरठ डूडा कार्यालय पर गरीबों से आवेदन फार्म तो भरवाए जा रहें हैं लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना में घर उपलब्ध नहीं कराए जा रहे, ऐसा क्यों है? इससे झोपड़-पट्टियों में रहने वाले समस्त गरीब परिवारों में जन आक्रोश व्याप्त है, जो कभी भी कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा बन सकता है।
उन्होनें जिलाधिकारी को ज्ञापन सौपते हुए यह मांग की है कि सन् 2015 से सन् 2022 तक मेरठ डूडा कार्यालय द्वारा गरीबों के नाम पर अब-तक दिए गए सभी घरों की जांच कराते हुए सन् 2022 के बाद से अब-तक भरे गए समस्त आवेदन फार्मों की भी निष्पक्ष जांच कराकर झोपड़ पट्टी में रहने समस्त गरीब परिवारों को आवास उपलब्ध कराते हुए मेरठ को शीघ्र झोपड़ -पट्टी मुक्त कराएं