एजेंसी नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा जब्त संपत्तियों को वापस लौटाने की याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने शुक्रवार को यह स्पष्ट किया कि कार्यवाही समाप्त होने का मतलब यह नहीं है कि जयललिता को अपराध से बरी कर दिया गया है। यह मामला आय से अधिक संपत्ति से जुड़ा हुआ था, जिसमें जयललिता को दोषी पाया गया था और उनकी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बी वी नागरत्ना और जज सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। कर्नाटक राज्य बनाम जयललिता मामले में 2017 के कोर्ट ने फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपील लंबित रहने के दौरान उनकी मृत्यु हो जाने के कारण कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी। इसका मतलब यह नहीं निकाला जा सकता कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अंतिम रूप से जयललिता के पक्ष में हो गया है। इस आधार पर, अदालत ने संपत्तियों को वापस लौटाने की याचिका को खारिज कर दिया।
गौरतलब है कि जयललिता की भतीजी जे दीपा और भतीजे जे दीपक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह दावा किया था कि जयललिता का मामला अब कानूनी रूप से समाप्त हो चुका है, इसलिए उनकी संपत्तियों को सरकार को स्थानांतरित नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, अदालत ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में अन्य दोषियों की सजा को बरकरार रखा था, इसलिए जब्ती का फैसला भी वैध माना जाएगा।