संजय जोशी की वापसी की तैयारी में हैं संघ परिवार।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। एनडीए दलों की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से नेता चुनने की मशक्कत के बीच संघ ने संगठन महासचिव बीएल संतोष को अन्य विकल्प पर भी ध्यान देने की सलाह दी है। यह माना जा रह है कि संघ यह चाहता है कि अगर एनडीए घटक दलों में से कोई बीच में सरकार से चला जाता है तो उसके आधार पर अन्य विकल्प भी तैयार रखे जाएं। जिससे भाजपा की सरकार बनी रह। इन विकल्प में नेता बदलने पर चर्चा और निर्णय भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक संघ इसके साथ ही पार्टी के पूर्व संगठन महासचिव संजय जोशी को भी भाजपा में फिर से लाने को लेकर मंथन कर रहा है।
यह कहा जाता है कि संजय जोशी के अंदर संगठन का कौशल है। उन्होंने उप्र में जब संगठन का कार्य किया था, उस समय चुनाव में भाजपा को अभूतपूर्व सफलता मिली थी। उस समय अध्यक्ष के रूप में नितिन गडकरी ने उनको यह जिम्मा दिया था। संजय जोशी ने गुजरात में भी संगठन महासचिव का पद संभाला है। वह पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और कुछ समय उन्होंने पढ़ाया भी है।
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि संजय जोशी के भाजपा में मुख्य भूमिका से नेपथ्थ्य में जाने की वजह उनके और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की तल्खी और खींचतान रही थी। जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी दिल्ली आए तो उसके बाद से संजय जोशी को गुमनामी में जाना पड़ा। लेकिन यह कहा जाता है कि संजय जोशी इस समय भी काफी प्रभावी हैं। उनके संपर्क में भाजपा के कई नेता हैं। इस चुनाव में भाजपा को उप्र में सबसे बुरी शिकस्त हासिल हुई है। यही वजह है कि संघ चाहता है कि उनके रणनीतिक-संगठन कौशल का लाभ वह उम्र में ले।