शारदा न्यूज़, मेरठ। 30 अक्टूबर 1990 में कारसेवको के एक जत्थे ने पुराने शहर में सब जगह घूम कर उस समय के विश्व हिंदू परिषद अध्यक्ष केदारनाथ जैन और संयोजक राजेश्वर प्रसाद के नेतृत्व में गिरफ्तारी दी थी।
इस जत्थे में विश्व हिंदू परिषद के महामंत्री चंद्रप्रकाश गुप्ता , विजय आनंद अग्रवाल के पिता पत्रकार व लोकतंत्र सेनानी विश्वनाथ अग्रवाल, हेल्थ केयर के डॉक्टर संजय गुप्ता के पिता डॉ0 रामप्रकाश गुप्ता, सुरेंद्र पाल रस्तोगी, सर्वेश कुमार सराफ, पिशोरी लाल कुमार, रामकिशोर सराफ, महेंद्र कुमार सराफ, रतनलाल खद्दर वाले, दुर्गादास पान वाले, राजकुमार वर्मा , डॉक्टर के के गुप्ता, जय नारायण जैन, सहित अनेको राम भक्तों ने अपनी गिरफ्तारी दी। योजना अनुसार एक जत्था प्रहलाद वाटिका में राजेश्वर प्रसाद के निवास से राजेश्वर प्रसाद और केदारनाथ जैन के नेतृत्व में चला। एक कारसेवकों का जत्था लाला के बाजार से विश्वनाथ अग्रवाल के नेतृत्व में चला।
एक जत्था कारसेवकों का डॉ रामप्रकाश गुप्ता के नेतृत्व में संजय नर्सिंगहोम से चला। यह सब आकर बुढ़ाना गेट मिले और उसके बाद इन कारसेवकों को पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया तो यह लोग इंदिरा चौक की तरफ बढ़ने लगे और वहां इन सब को गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें हजारों की संख्या में रामभक्तों का हजूम उमड़ पड़ा था।
राम भक्त नारे लगा रहे थे कि “रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” “सौगंध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएगें” “बच्चा बच्चा राम का, जन्म भूमि के काम का” जगह-जगह इन कारसेवकों के जत्थे को फूल मालाओं से लाद दिया गया और महिलाओं ने तिलक कर मंगल आरती की। यहां से इन लोगों को गिरफ्तार कर शामली में वैश्य स्कूल के अंदर बनाई गई अस्थाई जेल में ले जाया गया। जहां पर वहां के स्थानीय निवासियों ने अपनी छतों से इन सभी जेल में बंद कारसेवकों की बहुत सेवा करी। भोजन, चाय, इत्यादि उन्होंने छतों से रस्सी के माध्यम से लटका लटका कर सेवकों को उपलब्ध कराया।
इसी दौरान उस स्कूल से लगे मुस्लिम मोहल्ले से इस जेल पर फायरिंग और पथराव कर दिया गया,आगजनी कर दी गई। इस कारण से स्थानीय प्रशासन ने दो दिन बाद ही उसे जेल में बंद कारसेवकों को मेरठ अब्दुल्लापुर जेल में स्थानांतरित कर दिया।