- सात नवंबर को एक अपार्टमेंट की घटना,
वाराणसी। जुआ प्रकरण में निलंबित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता विभागीय जांच में दोषी पाया गया है। आरोप है कि जुआ खेलने की सूचना पर सरकारी जीप से प्राइवेट व्यक्ति के लेकर अपार्टमेंट पहुंचा था और कानूनी कार्रवाई का डर दिखा कर 41 लाख लूट लिए थे। वाराणसी जिले के सारनाथ थाना क्षेत्र के पहड़िया स्थित रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट से 41 लाख रुपये की लूट के मामले में नामजद और निलंबित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता को विभागीय जांच में दोषी पाया गया है। जांच रिपोर्ट एडीसीपी वरुणा जोन सरवणन टी ने पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल को सौंप दी है। हालांकि एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन आरोपी इंस्पेक्टर गिरफ्तार नहीं हो सका है।
बीते सात नवंबर की आधी रात बाद इंस्पेक्टर परम हंस अपने दोस्त धर्मेंद्र कुमार चौबे के साथ रुद्रा हाइट्स अपार्टमेंट में घुसा था। आरोप है कि अपार्टमेंट स्थित एक फ्लैट में कुछ व्यापारी जुआ खेल रहे थे। इंस्पेक्टर के दोस्त ने खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी बताया था। दोनों ने कानूनी कार्रवाई का डर दिखा कर मौके से मिले 41 लाख रुपये लूट लिए थे। अपार्टमेंट से निकलने के दौरान वहां लगे सीसी कैमरे में दोनों की तस्वीर कैद हो गई थी।
पुलिस आयुक्त ने मामले की जांच कराई तो निलंबित इंस्पेक्टर की भूमिका सामने आ गई। जांच रिपोर्ट के मुताबिक, निलंबित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता को अनुशासनहीनता और कदाचार का दोषी पाया गया है। परम हंस ने अपार्टमेंट में जुआ खेले जाने की सूचना उच्चाधिकारियों को नहीं दी। सरकारी जीप से एक प्राइवेट व्यक्ति को लेकर अपार्टमेंट में गया। मामला सार्वजनिक हुआ और उसे उच्चाधिकारियों ने बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया तो वह नहीं आया। जांच में पुलिस का सहयोग भी नहीं किया।
गैर जमानती वारंट के लिए अदालत में नहीं दी अर्जी
लूट जैसे मामले में पुलिस ने धर्मेंद्र को तो गिरफ्तार कर लिया। मगर, निलंबित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता पर मेहरबानी बरकरार है। एक महीने बाद भी मुकदमे के विवेचक ने परम हंस गुप्ता के खिलाफ गैर जमानती वारंट के लिए अदालत में अर्जी नहीं दी।
14 को दर्ज हुआ था मुकदमा
पुलिस आयुक्त ने परम हंस गुप्ता को 10 नवंबर को ही निलंबित कर दिया था। 14 नवंबर को निलंबित इंस्पेक्टर परम हंस गुप्ता और उसके दोस्त धर्मेंद्र कुमार चौबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गय था।