– मेडिकल कॉलेज में हेपेटाइटिस पर तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू
शारदा रिपोर्टर
मेरठ। एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में बृहस्पतिवार को हेपेटाइटिस पर तीन दिवसीय कार्यशाला शुरू हुई, जिसमें बताया गया कि अगर सतर्क रहें तो हेपेटाइटिस से कोई खतरा नहीं है। कोई भी ऐसा कार्य या गतिविधि जिसमें खून से खून का संपर्क होने की संभावना है, संक्रमण का संभावित स्रोत हो सकता है। दूषित सिरिंज, रेजर या टूथब्रश के इस्तेमाल, दूषित रक्तदान, अंगदान या लंबे समय तक डायलिसिस; दूषित सुई से टैटू या एक्यूपंचर करवो और असुरक्षित यौन संबंध बनाने से बचें। ये सावधानी रखेंगे तो हेपेटाइटिस से बच सकते हैं। अगर बीमारी हो जाए तो मेडिकल कॉलेज में इसका निशुल्क इलाज मिलता है। इलाज संभव है।
कार्यशाला में विभिन्न जिलों के हेपेटाइटिस के नोडल अधिकारियों को पैथोलॉजिस्ट, माइक्रोबायोलॉजिस्ट, फिजिशियन और एनाटोमिस्ट ने प्रशिक्षण दिया। एनाटॉमी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अंतिम गुप्ता ने लिवर की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी को समझाया। डॉ. नीलम सिद्धार्थ ने बताया कि वायरल हेपिटाइटिस पूरे संसार में फैल रहा है। इसका प्रतिशत भारत में बहुत ज्यादा है। पैथोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ. प्रीति सिंह ने हेपेटाइटिस सी की जांचों के बारे में बताया। माइक्रोबायोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर प्रेम प्रकाश मिश्रा ने हेपेटाइटिस बी की जांचों के संदर्भ में व्याख्यान दिया। एसोसिएट प्रोफेसर पैथालॉजी डॉ दीपाली मित्तल ने लीवर की बीमारियों और उनका क्या महत्व है, यह बताया।