Home Hindi Kahaniya एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी का भाग-5, पढ़िए…

एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी का भाग-5, पढ़िए…

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तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी
तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी---

कहानी का पढ़िए अगला सीन-

अरुण खरे ( कानपुर )
अरुण खरे ( कानपुर )

 सीन  (अगला)

   मोटा आदमी विन्डो नम्बर पांच की लाइन में बीचों-बीच खड़ा है। मोटे आदमी के आगे एक साउथ इन्डियन खड़ा है। मोटा अपनी बड़ी तोंद लिए आगे की तरफ हिलता डुलता है, तो मोटे की तोंद का झटका आगे खड़े साउथ इन्डियन पर पड़ता है। साउथ इन्डियन मोटे की तोंद का झटका खाकर बगल की ओर गिरते गिरते बचता है। साउथ इन्डियन अपने आपको संभालते हुए मोटे आदमी से कहता है –

साउथ इन्डियन : आई ओ तुम कैइसा बड़ा पेट लिए खड़ा। तुम न होता लाइन में, तो तुम्हारी जगे तीन चार आदमी खड़ा होता। (मोटे आदमी की तोंद पर हाथ फेरते हुए) आई ओ ये तुम्हारा पेट है या पेट्रोल का टैन्क।

मोटा आदमी : (साउथ इन्डियन का गिरेबान पकड़ कर) ये बकवास बन्द कर।

साउथ इन्डियन : (मोटे आदमी के पेट में फिरसे हाथ फेरते हुए) आई ओ तुम नाराज काए को होता जी। तुमारा कितना अच्छा पेट जी।

मोटा आदमी : (जोरदार आवाज के साथ) ये…. ।

साउथ इन्डियन : (जेब से तम्बाकू की डिबिया निकालकर) तमाकू खाता जी।

   (विन्डो नम्बर पांच के अगल बगल वाली लाइन के लोग मोटे आदमी और साउथ इन्डियन के बीच चली नौटंकी देखकर हंसते हैं।)

                  सीन (अगला)

  चार नम्बर विन्डो के दो आदमी आपस में हंसते हुए मोटे आदमी पर व्यंग्य कसते हैं।

पहला आदमी : यार हाथी जैसा शरीर भी बड़ा कष्टकारी होता है।

दूसरा आदमी : पर भीभकाय शरीर सुडोल और बलिष्ठ होता है। ऐसे शरीर में हाथी जैसा बल होता है। (मोटे आदमी की ओर इशाराकर) और एक वो खड़े हैं मोटू पहलवान, जो अपना शरीर ही नहीं संभाल पा रहे हैं। अगल बगल वाले पास में खड़े डर और रहे होगें  कि कहीं मोटू गिर गए तो कल्याण न हो जाए।

पहला आदमी : अरे बादी है पूरे शरीर में। मोटू खाते पीते होंगे और लुढ़क जाते होंगे बिस्तर में। थोड़ी कसरत करें, टहलें और डाइटिंग पर विशेष ध्यान दें तो ऐसा नहीं है कि मोटू हमारी और आपकी तरह न हो सकें।

दूसरा आदमी : भइया मोटा होना कोई बुरी बात नहीं है। पर इतना मोटा होना भी ठीक नहीं है कि शरीर एक बोझ बन जाए।

पहला आदमी : बिल्कुल सही कह रहे हैं आप। अब इन्हीं मोटू को देखिए। पहली बात तो हाथ रिक्शा वाला इनको जल्दी बैठाता नहीं होगा। अगर बैठा भी लिया तो तीन चार सवारी का पैसा वसूलता होगा। इसी तरह टैम्पो वाले का तो इन्हें बैठाने का सवाल ही नहीं उठता। ये पैदल जांए या पूरा टैम्पो बुक करवांए।

  (मोटा आदमी दोनों की बातें सुन देखते हुए आंखें तरेरता है।)

                   सीन (अगला)

  रिजर्वेशन हाल के अन्दर लाइनों में खड़े आदमियों का शोर सुनाई दे रहा है। छह नम्बर विन्डो पर खड़ा एक आदमी अपनी लाइन में जमीन पर बैठते हुए –

छह नम्बर विन्डो की लाइन पर खड़ा आदमी : (लोगों की ओर देखकर) अरे बैठ जाओ भइया, कब तक खड़े रहोगे। थोड़ी देर में आठ बजने वाले हैं। विन्डो खुलते ही फिर खड़े रहना पड़ेगा। तब तक थोड़ा बैठकर सुस्ता लो भइया।

  (छह नम्बर विन्डो की लाइन के आदमी को बैठे देख लाइन में लगे और लोग भी बैठने लगते हैं। मोटा आदमी खड़ा रहता है। उसके पीछे वाला जो आदमी बैठा हुआ है। मोटे आदमी को खड़ा हुआ देख कहता है –

मोटे आदमी के पीछे वाला आदमी : अरे पहलवान आप भी बैठ जाइए। इतने भारी शरीर को लिए खड़े खड़े थक गए होंगे।

मोटा आदमी : थक तो गया हूं पर बैठ गया तो उठूंगा कैसे। मुझे बैठकर उठने के लिए किसी चीज का सहारा चाहिए। (लोगों की ओर देखते हुए) अरे भाइयों अगर मै बैठ जाऊं तो मुझे उठाने के लिए कोई सहारा देगा। (पीछे से किसी की आवाज़ आती है – किसी के सहारे की उम्मीद न करो, जैसे खड़े हो वैसे ही खड़े रहो।

मोटे आदमी के पीछे वाला आदमी : अरे बैठ जाओ पहलवान हम सहारा देकर उठा देंगे।

मोटा आदमी : अरे भाई केवल तुम्हारे सहारे से ही काम न हुआ। और लोगों की जरूरत पड़ी उठाने को..तो मैं बैठा ही रह जाऊंगा और फिर टिकट भी हाथ से निकल जाएगा।

मोटे आदमी के पीछे वाला आदमी : (हंसते हुए) तो फिर पहलवान तुम खड़े ही रहो। कहूं हमरे सहारे से न उठ पाए। और दो तीन आदमियों के सहारे से भी न उठ पाए। तो फिर हमें उठवाने के लिए कहूं क्रेन न मंगवानी पड़ जाए। इससे अच्छा है तुम जैसे खड़े हो वैसे ही खड़े रहो।

मोटे आदमी के दो लोगों के आगे खड़ा एक आदमी : (धीमी आवाज में, मोटे के पीछे बैठे आदमी की ओर देखकर) बैठ तो गए है,पर हाथी की तरफ ध्यान दिए रहेव। कहूं पीछे का उलार हुईगा हाथी तो समझ लेव बिना टिकट अस्पताल की यात्रा पे जांएका पड़ी।

(लाइन में लगे सब लोग हंसते हैं। मोटा आदमी भी मन्द मुस्कान छोड़ देता है।)

                  सीन (अगला)

रिजर्वेशन हाल के अन्दर प्रत्येक विन्डो की लाइन में कोई बैठा है तो कोई खड़ा है। सुबह का ठीक आठ बजा है विन्डो खुलती है। विन्डो खुलते ही लाइनों में बैठे आदमी उठकर खड़े हो जाते हैं। अब लोगों के चेहरे खिले हुए नजर आते हैं। विन्डो खुले हुए करीब पन्द्रह बीस मिनट हो चुके हैं। लाइन जहां की तहां रहती है। न कोई लाइन से निकलता है और न कोई लाइन में आगे बढ़ता है। दो नम्बर विन्डो की लाइन में खड़ा आदमी अपनी कलाई घड़ी को देखते हुए –

दो नम्बर विन्डो पर खड़ा आदमी : (कलाई घड़ी देखते हुए अपने आगे वाले आदमी से) अरे भाईसाहब पन्द्रह बीस मिनट हो गए, अभी तक लाइन से कोई निकला कि नहीं।

आगे खड़ा आदमी : भाईसाहब निकलते हुए तो कोई दिखाई नहीं दे रहा है। लाइन भी अपनी जगह है। आगे बढ़ी नहीं रही।

दो नम्बर विन्डो पर खड़ा आदमी : (आगे खड़े आदमियों को आवाज देकर) अरे भाई ये लाइन आगे क्यों नहीं बढ़ रही?

दो नम्बर विन्डो के पास खड़ा आदमी : भाईसाहब अभी ब्रेक जाम हैं। ब्रेक जब खुलेंगे तभी लाइन आगे बढ़ेगी।

दो नम्बर विन्डो की लाइन के बीच में खड़ा आदमी : क्या मतलब भइया?

दो नम्बर विन्डो के पास खड़ा आदमी : भाईसाहब अभी बाबू लोग अन्दर का काम निपटा रहे हैं जब उससे फुर्सत मिलेगी तभी लाइन गतिशील होगी।

दो नम्बर विन्डो की लाइन के बीच में खड़ा आदमी : साले अन्दर का काम क्या निपटा रहे होगें। दलालों के रिजर्वेशन कर रहे होगें।

दो नम्बर विन्डो की लाइन के बीच में खड़े आदमी के अगल बगल की लाइन में खड़े आदमी : बिल्कुल सही बात है। सब साले मक्कार और रिश्वतखोर हैं। इन्हीं लोगों की वजह से ही दलालों की पौ बारह है।

   (लाइनों के आगे न बढ़ने पर पीछे खड़े लोग शोर मचाते हैं। आवाजें सुनाई देती हैं-

आवाजें : अबे टिकट क्यों नहीं बांटते। इतनी देर से क्या कर रहे हो।

   (शोर मचाते हुए कोई अपनी जगह खड़ा रहता है। तो कोई विन्डो तक पहुंच जाता है।)

                 सीन (अगला)

छह नम्बर विन्डो पर लाइन में लगे आदमियों के अलावा अगल बगल और आदमी आकर खड़े हो जाते हैं। लाइन में खड़े पीछे वाले आदमी विन्डो पर लगी भीड़ को देखकर –

छह नम्बर विन्डो की लाइन के पीछे खड़े आदमी : अरे आगे वाले भाई लोगों, ये विन्डो पर भीड़ क्यों लगा रखी है। हटाओ इन सबको।

विन्डो पर लगी भीड़ में से एक आदमी : अरे आप लोग परेशान मत हों। हम लोग टिकट नहीं ले रहे हैं।

लाइन के पीछे से एक आदमी : टिकट नहीं ले रहे हैं तो किनारे होइए। अभी किसी ने धीरे से रूपए थमाकर टिकट बनवा लिया, तो क्या हम लोग लाइन में खड़े खड़े घास छीलेगें। शर्म नहीं आती है आप लोगों को, भीड़ जमाए हुए हैं विन्डो पर। हटिए आप लोग उधर से, आप लोगों की देखा देखी और लोग भी विन्डो पर आकर खड़े हो जाएंगे।

छह नम्बर विन्डो की भीड़ से दो आदमी : (भीड़ से अलग होते हुए) हम लोग तो हट गए। अब आप और लोगों को समझिये।

छह नम्बर विन्डो की लाइन में पीछे खड़े आदमियों में से एक : ऐसे समय पुलिस को आकर कन्ट्रोलिंग करनी चाहिए। नहीं तो जिसकी लाठी उसकी भैस। किस किस से लड़ा जाए।

( इंतजार करें आगे की कहानी आपको अगले सीन में बताएँगे)

 

कहानी का भाग-1

कहानी का भाग-2

कहानी का भाग-3

कहानी का भाग-4