शास्त्रीय संगीत की विरासत संभाल रहे दविन्दर सिंह, तीन सौ से अधिक लोगों को दे चुके प्रशिक्षण

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  • यूटयूब पर इनके गाने लोगों का दिल जीत रहे
  • तीन सौ से अधिक लोगों को दे चुके प्रशिक्षण

ज्ञान प्रकाश, संपादक

मेरठ। संगीत शाश्वत है। संगीत आत्मा है। संगीत मानसिक शांति का बेहतरीन विकल्प है। सात सुरों से नाता जोड़ कर लोग संगीत की आराधना कर रहे है। कुछ लोग अपनी धुन में मस्त होकर न केवल संगीत की आराधना कर रहे हैं बल्कि नई पीढ़ी के अंदर संगीत की ऊर्जा भर रहे हैं। ऐसे ही एक शख्स हैं लखनऊ निवासी दविन्दर सिंह। आप टीवी खोलिये और यूटयूब पर जाइये तो आपको इनको दिल को छू लेने वाले अंदाज में गाते हुए देख लेंगे।

यूटयूब पर इनके गाने लोगों का दिल जीत रहे-

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सोशल मीडिया पर इनके गानों में इनकी सौम्यता, सरलता, रागों का अदभुत मिश्रण और की बोर्ड पर जबरदस्त नियंत्रण दविन्दर सिंह को सबसे अलग करता है। इनकी खासियत यह है कि ये बैकग्राउंड म्यूजिक पर नहीं गाते हैं बल्कि खुद संगीत का संयोजन करते हैं। इनके साथ गायिकी करने वाली युवतियों का सुरों पर नियंत्रण साबित करता है कि इनको प्रशिक्षण कितने लगन से दिया गया है। आरुषि शुक्ला, प्रतीक्षा, वर्तिका श्रीवास्तव, प्रियांशी श्रीवास्तव, दीक्षा वर्मा, मानसी मिश्रा जैसी प्रशिक्षुओं ने साबित कर दिया कि दविन्दर सिंह ने कितनी मेहनत की होगी।

दैनिक शारदा एक्सप्रेस ने संगीत के पुजारी दविन्दर सिंह से बात की और उनकी संगीत आराधना के बारे में बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के अंश।

 

 

आपने संगीत की शिक्षा कब से प्रारंभ की

मेरी संगीत की प्रारंभिक शिक्षा 3 साल की उम्र से कानपुर में शुरू हुई वहां पर 10 साल सीखने के बाद मैं लखनऊ शिफ्ट हो गया , यहां से फिर मैंने भातखंडे संगीत महाविद्यालय से ग्रेजुएशन किया उसके बाद मै मुंबई शिफ्ट हो गया और वहां पर मैंने मोहिंदरजीत सिंह जी से संगीत की विधिवत शिक्षा प्राप्त की करीबन 10 साल के लिए।

आपके गुरु कौन थे

वैसे तो मैंने काफी गुरुओं से शिक्षा प्राप्त की कानपुर में, लखनऊ में लेकिन मेरे मुख्य गुरु मोहिंदरजीत सिंह जी, जो कि मुंबई में थे और जगजीत सिंह जी और चित्रा सिंह जी के भी गुरु हैं। उनसे मैंने मुख्य शिक्षा प्राप्त की और मेरे गुरुजी पंडित हुसन लाल भगत राम जी के शिष्य थे ,जो की 50 के दशक में फिल्म संगीत के मुख्य संगीतकार रहे हैं फिल्मों में उन्होंने बहुत सारे बेहतरीन गाने दिए हैं।

आपको संगीत की प्रेरणा किससे मिली

मेरे को संगीत की प्रेरणा मेरे पिताजी से मिली जो की पुराने फिल्मी संगीत के बहुत शौकीन हैं और हारमोनियम और माउथ आॅर्गन प्ले किया करते हैं उनसे ही मैं प्रभावित हुआ।

आपका प्रोफेशन क्या है

मैं संगीत का शिक्षक हूं और बच्चों को शास्त्रीय गायन और प्लेबैक गायन की ट्रेनिंग देता हूं इसके साथ ही मेरा एक स्टूडियो सेटअप है वहां पर रिकॉर्डिंग होती है यही मेरा प्रोफेशन है। मेरे इंस्टिट्यूट और यूट्यूब चैनल का नाम राग एंड रिदम इंस्टिट्यूट है ।

 

 

संगीत अकादमी खोलने की प्रेरणा कहां से मिली

संगीत अकादमी खोलने की प्रेरणा मुझे मेरे गुरुजी मोहिंदरजीत सिंह जी से से मिली । उनकी प्रेरणा के बल पर ही मुझे मन में यह एहसास हुआ कि मुझे युवा पीढ़ी को संगीत में शिक्षित करना चाहिए और उन्हें अच्छा संगीत सीखना चाहिए ताकि आने वाले समय में हमारे शास्त्रीय संगीत की विरासत संभाली जा सके।

अब तक कितने लोगों को प्रशिक्षित कर चुके है

अभी तक की संख्या बताना तो बहुत मुश्किल है लेकिन 300 से ऊपर बच्चों को मैं संगीत की शिक्षा दे चुका हूं। अभी भी मुझसे आॅनलाइन और आॅफलाइन हर आयु वर्ग के लोग देश और विदेश सभी जगह से लोग सीखते हैं। जैसे कि यूके,दुबई, यूएसए आदि से लोग संगीत की बारीकियां सीख रहे है।

 

 

क्लासिकल संगीत के प्रति युवाओं का क्या रुझान है

आजकल की पीढ़ी में शास्त्रीय संगीत के प्रति रुझान तो दिखता है मुझे लेकिन उसको प्रेरणा देने के लिए हमारे पास हमारे फिल्म इंडस्ट्री में अच्छा संगीत कम सुनने को मिलता है जिससे उनको प्रेरणा मिल सके कि वह हमारे भारतीय संगीत को फॉलो करें क्योंकि फिल्मों का संगीत समाज को प्रेरित करता है। तो मैं ऐसी उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में फिल्मों में हमारे भारतीय संगीत को ज्यादा से ज्यादा अपनाया जाए ताकि उसे युवा प्रेरित हो।

आपकी संगीत आराधना में परिवार का कितना रोल है

मेरे परिवार का इसमें पूरा योगदान है क्योंकि सब मुझको सपोर्ट करते हैं मेरे माता पिता, मेरी पत्नी सुरेन्द्र कौर,मेरे बच्चे प्रभजोत कौर और नवजोत कौर आदि मुझको संगीत की आराधना में सहयोग करते हैं। इस कारण मैं संगीत साधना बिना किसी रूकावट के करता हूं। इसके अलावा कई गीत भी लिखे हैं और उनकी धुन भी खुद तैयार करता हूं।

आपका आदर्श गायक और संगीतकार कौन है

बहुत सारे हमारे पुराने गायक मेरे आदर्श हैं जैसे मन्ना डे साहब, तलत महमूद साहब, मोहम्मद रफी साहब, लता जी, आशा जी, गीता दत्त जी लेकिन अगर आप मुझे एक नाम पूछेंगे तो वह मोहम्मद रफी साहब है। जिनके गीत सुन सुन कर मैंने गाना सीखा और उनको फॉलो कर करके ही आज मैं जो कुछ गा रहा हूं यह उनकी प्रेरणा के कारण है। मेरे पसंदीदा संगीतकार भी बहुत सारे हैं जैसे नौशादजी, मदन मोहन जी, शंकर जय किशन जी, एसडी बर्मन साहब लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी, कल्याणजी आनंदजी ,यह सारे संगीतकार मेरे पसंदीदा है और भी बहुत सारे नाम है। पुराने संगीतकार ही मुझे ज्यादा पसंद है। उनसे मुझे ज्यादा प्रेरणा मिलती है।

आप रोज कितना अभ्यास करते है

अभ्यास की कोई सीमा नहीं होती है । मैं कभी टाइम नोटिस नहीं करता लेकिन 5 से 6 घंटे का रोज का अभ्यास करता हूं। कई बार इससे कहीं ज्यादा समय अभ्यास के लिये देता हूं। इसके अलावा स्टूडियो में भी बहुत समय संगीत के लिये निकालता हूं।

आपने किन म्यूजिक कंपनियों के लिये काम किया

मेरे टी-सीरीज, टिप्स ,यूनिवर्सल और कई म्यूजिक बैनर के तले कई गाने और म्यूजिक एल्बम्स रिकॉर्ड हुए हैं।

आपने किन संगीतकारों लिये गाना गाया है

प्रतिष्ठित संगीतकार जैसे उषा खन्ना जी, सुरेंद्र कोहली जी ,श्री मोहिंदरजीत सिंह जी ,आनंद राज आनंद जी इत्यादि संगीतकारो के साथ काम किया है।

आपको सबसे बड़ा पुरस्कार कब मिला

2016 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा संगीत के क्षेत्र में योगदान के लिए यश भारती सम्मान से नवाजा गया है।

चर्चित गाने

ठहरिये होश में आ लूं तो चले जाइये
याद किया दिल ने कहां हो तुम
तुम्हे याद होगा कभी हम मिले थे
नींद न मुझको आए
सीने में सुलगते हैं अरमां
मुझे कितना प्यार है तुमसे
तुम गगन के चन्द्रमा हो, मैं धरा की धूल हूं
तारों की जुबां पर

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