– लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा का मास्टर स्ट्रोक।
– जनवरी माह में दो मुद्दे तैयार कर चुनाव में उतरेगी भाजपा।
अनुज मित्तल, मेरठ। लोकसभा चुनाव अप्रैल में संभावित हैं और फरवरी में आचार संहिता लागू हो सकती है। इससे पहले ही भाजपा मास्टर स्ट्रोक खेलने की तैयारी कर चुकी है। 22 जनवरी को जहां अयोध्या में भव्य नवनिर्मित राममंदिर का लोकार्पण के साथ रामलला की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, वहीं इसके बाद जनवरी में ही सीएए के नियम लागू करने की तैयारी सरकार कर चुकी है। यह दो मुद्दे लेकर भाजपा चुनाव में उतरेगी।
भाजपा एक बार पूरी तरह हिंदू कार्ड खेलने की तैयारी कर चुकी है। राममंदिर का मुददा जो कई दशकों से चला आ रहा था, उसका निर्माण कर भाजपा ने अपना वादा पूरा कर दिया। इसके साथ ही अब सीएए के नियम भी लागू करने की तैयारी भाजपा कर चुकी है। हालांकि सीएए दिसंबर 2019 में संसद में पारित हो चुका है। लेकिन तब पूरे देश में मुस्लिम समाज ने इसके विरोध में जमकर उपद्रव किया था।
सीएए के विरोध में मेरठ में भी 20 दिसंबर को हापुड़ रोड, भूमिया पुल आदि क्षेत्र में जमकर तोड़फोड़, आगजनी, पथराव और फायरिंग हुई थी। जिसमें पुलिस फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई थी। इस विरोध को देखते हुए सीएए को तब ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
लेकिन अब भाजपा सीएए को लागू करने का पूरा मन बन चुकी है। यदि सीएए का विरोध होता है और कोई उपद्रव होता है तो इसमें भी भाजपा राजनैतिक लाभ लेगी। क्योंकि ऐसी स्थिति में भाजपा हिंदु वोटों का धु्रवीकरण करने में कामयाब रहेगी। जो पूरी तरह उसके फेवर में जाएगा।
विपक्ष के सामने खड़ा हुआ संकट
सीएए के नियम प्रभावी होने की स्थिति में विपक्ष के सामने संकट खड़ा होगा। क्योंकि यदि वह चुप्पी साधते हैं तो मुस्लिम वर्ग उनसे नाराज हो जाएगा। लेकिन अगर वह विरोध करते हैं, तो हिंदु वोट उनसे कटकर भाजपा के पक्ष में एकजुट हो जाएगा। ऐसे में विपक्ष चुनाव से ठीक पहले भाजपा की इस चाल में फंस चुका है।
क्या है सीएए
सीएए मतलब है नागरिकता संशोधन अधिनियम। इसमें भाजपा ने जो नियम बनाया है, उसके तहत तीन पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर मुस्लिम लोग जिनमें छह प्रमुख जातियां हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी हैं। उनको भारतीय नागरिकता देने के नियम को आसान किया गया है। जबकि मुस्लिमों के लिए नियम में कोई बदलाव नहीं है। इसी कारण से मुस्लिम समाज के लोग भड़के हुए हैं।
क्यों है मुस्लिम नाराज
सबसे ज्यादा नागरिकता के मामले मुस्लिम समाज के ही फंसे हुए हैं। इनमें अधिकांश बांग्लादेश और पाकिस्तान से जुड़े हैं। भारत में बड़ी संख्या में युवकों की शादी पाकिस्तान में हुई हैं, ऐसे में उनकी पत्नियों को भारत की नागरिकता लेने में भारी दिक्कतें आ रही हैं। अभी भी साठ प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जिनके पौत्र और नातिन हो चुके हैं, लेकिन वह भारत की नागरिकता नहीं ले पाई हैं।
जनवरी में रहेगा हाई अलर्ट
भाजपा के दोनों मुद्दे ही संवेदनशील हैं। राम मंदिर को लेकर जिस उत्साह और भव्यता से आयोजन की तैयारी है, वह माहौल को कहीं न कहीं संवेदनशील बना रहा है। खुफिया विभाग भी लगातार इनपुट जुटाने में लगा है और पुलिस प्रशासन भी नजर गडाए हुए हैं। इसके बाद अब सीएए के नियम लागू होने की चर्चा ने माहौल को और ज्यादा गरमा दिया है। ऐसे में यूपी की अगर बात करें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जा रहा है।