आखिर एक वर्ष तक सरकारी मिट्टी के खनन पर क्यों नहीं लगाई रोक, क्या है पूरा मामला, पढ़िए खबर

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  • जब मिट्टी उठ गई अब हो रही है कार्यवाही,
  • बिजनौर में खनन माफिया द्वारा सिपाही की हत्या के बाद एक्शन में आया सिंचाई विभाग।

शारदा रिपोर्टर

मेरठ। हस्तिनापुर वन अभ्यारण क्षेत्र के बीच से होकर गुजरने वाली मध्य गंग नहर की सिल्ट सफाई का काम करोड़ों रुपए के बजट से पिछले दो वर्षों से चल रहा है। यहां माफियाओं ने जमकर अवैध मिट्टी को उठाकर करोड़ों रुपए की संपत्ति अर्जित की परंतु सिंचाई विभाग कुंभकरणी नींद सोता रहा जब मामला शासन तक पहुंचा तो सिंचाई विभाग अब हरकत में आया।

हस्तिनापुर क्षेत्र के वन अभ्यारण क्षेत्र से होकर गुजरने वाली मध्यगंग नहर से भूमाफियाओं ने जमकर करोड़ों रुपए की मिट्टी का अवैध खनन किया और कई प्रतिबंधित स्थान पर भी मिट्टी को डाला गया जिसके बदले मोटी रकम ली गई। गंग नहर की सफाई के दौरान अंदर से ही मिट्टी के डंपर जाते रहे और सिंचाई विभाग के अधिकारियों को पता नहीं चला। अब बिजनौर में माफिया द्वारा सिपाही की हत्या के बाद शासन हरकत में आया तो सिंचाई विभाग की नींद टूटी और थाने पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की मांग की गई। जिससे सिद्ध हो गया कि सांप निकल गया और सिंचाई विभाग लकीर पीटता रह गया।

अब इस मामले में सिंचाई विभाग के निमार्णा खंड मेरठ के जेई मनोज त्रिवेदी ने भी थाना पर तहरीर देते हुए मध्य गंग नहर के लुकाधडी पुल के समीप मिट्टी उठान के मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया है। जबकि माफिया ने यहां पर नहर से निकली करोड़ो रुपए की सिल्ट को ठिकाने लगा दिया। सरकारी मिट्टी को बेचने की टेंडर प्रक्रिया का जवाब किसी अधिकारी के पास नहीं है। अब जिम्मेदार अधिकारी अपनी जान बचाने के लिए थाने पर मुकदमा दर्ज करा कर माफिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं और तो और अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

अब सिंचाई विभाग कुछ अज्ञात लोगो के विरूद्व तहरीर देकर कार्यवाही का ढिंढोरा पीट रहा है। जिससे साफ उजागर होता है कि करोडो रुपए की धनराशि से किये जा रहे सिल्ट सफाई के कार्य का निरीक्षण समय रहते क्यों नहीं किया गया और 2 वर्षों में मिट्टी को बेचने की टेंडर प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की गई। जबकि मध्य गंगा नहर के दोनों और के मार्ग इस मिट्टी से अवरुद्ध हो रहे थे। जिन्हें लेकर क्षेत्र के लोगों ने हंगामा भी किया था। सेंचुरी क्षेत्र के कारण सफाई का कार्य बाधित रहा। पंरतु बाद मे अनुमति होने के पश्चात कार्य प्रारंभ कर दिया गया। जिससे बाहर निकाली गयी सिल्ट के उंचे टीले लग गये।

जिसे माफियाओं ने जमकर दलदली झीलो का मिटटी से आट दिया गया। सिंचाई विभाग के अधिकारियो का कहना है कि उनके द्वारा अज्ञात के विरूद्व थाना पर तहरीर दी गयी है। परंतु इस कार्यवाही से विभाग की कार्यप्रणाली पर ही प्रश्न चिन्ह लगता है।

लोगों का कहना है कि जब वह अपने घरों के जरूरी कामों के लिए मिट्टी लाते हैं तो वन विभाग कार्रवाई करता है परंतु यहां से उठी करोड़ों रुपए की मिट्टी की विभाग के अधिकारियो तो भनक क्यों नही लगी। अब जब अधिकांश मिटटी को माफियाओ ने साफ कर सरकार को करोड़ों रुपए की हानि पहुंचाई तो सभी अधिकारी कार्यवाही के नाम पर लकीर पीटते दिखाई दे रहे है।

प्रतिबंधित क्षेत्र में भी डाली गई मिट्टी

महाभारत कालीन ऐतिहासिक नगरी में प्राचीन बूढ़ी गंगा के जीर्णोद्वार के लिए प्रशासन प्रयासरत है तथा कई बार डीएम के निर्देश पर सफाई का कार्य भी किया गया। परंतु बताया जा रहा है कई स्थानो पर तो बूढी गंगा की झीलो को भी मिटटी से पाट दिया गया। वहीं बूढ़ी गंगा को लाखों रुपए से सफाई कराने के इस अभियान पर भी पानी फिरता दिखाई दे रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी के कारण महाभारत कालीन प्राचीन धारा एक बार फिर विलुप्त हो जाएगी।

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