- 400 ड्राइवर-कंडक्टर की नौकरी पर संकट, विभाग ने मांगी 60 नई बसें।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। जिले में 96 बसों ने उम्र पूरी कर ली है, ये ऐसी बसें हैं, जो जिलेभर के अलग-अलग रूट पर संचालित होती हैं। इनके हटने से एग्जाम के सीजन में स्टूडेंट्स से लेकर हजारों अन्य यात्रियों को भी असुविधा हो रही है, अगर समय रहते कोई इंतजाम नहीं हुआ तो हर दिन हजारों यात्रियों को समस्या अब होने वाली है। जबकि सैकड़ों लोगों की नींद उड़ी हुई है, क्योंकि उनकी नौकरी जा सकती है।
मेरठ में बीते माह तक लगभग 150 से अधिक सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड की बसें मेरठ शहर समेत जिले के अलग-अलग रूट पर संचालित थीं। लेकिन अब ये बसें लगातार दम तोड़ती जा रही हैं। वह भी ऐसे समय में जब विभिन्न बोर्ड की परीक्षाओं की शुरूआत होने जा रही है। अब तक मेरठ ट्रांसपोर्ट सिटी के नाम से जिन बसों का परिचालन हो रहा है, उनमें से 50 से अधिक बसें हटाई गई हैं। वहीं इस माह के आखिरी दिन तक 96 बसें वर्कशॉप में खडी हो जाएंगी, जिससे सैकड़ों लोग बेरोजगारी के कगार पर आ गए हैं। वहीं हजारों यात्रियों के सामने भी बड़ी समस्या खड़ी होने वाली है।
दरअसल, परिवहन विभाग ने इतनी बड़ी संख्या में चल रहीं बसों को हटाने का निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि ये सभी बसें अब खस्ताहालत में हैं और साथ ही उम्रदराज भी हो चुकी हैं। अफसरों की मानें तो रोडवेज की सिटी बसों के माध्यम से औसतन 20 से 22 हजार से अधिक यात्री हर दिन मेरठ में जिले के अलग-अलग क्षेत्रों से सिटी तक आवाजाही करते हैं। सबसे अहम बात तो यह है कि ग्रामीण अंचलों से आने वाले छात्र-छात्राओं के लिए तो ये सिटी बसें किसी वरदान से कम नहीं थीं। क्योंकि स्टूडेंट्स मासिक पास लेकर इनमें यात्रा करते थे। अब जब इन बसों का संचालन रुकेगा तो हर माह लगभग कम से कम पांच लाख यात्रियों के सामने संकट खड़ा होने वाला है।
क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप नायक भी मानते हैं कि समस्या तो बड़ी है, लेकिन उनके पास जो भी बसें हैं, उन्हीं का संचालन कर सकते हैं। बाकी 50 बसों की डिमांड की गई है, अगर ये बसें मिल जाएंगी तो काफी हद तक समस्या का समाधान भी हो जाएगा। वर्तमान में जो सीएनजी बसें हटाई जा रही हैं, अब इनके स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों का ही संचालन होना है।
चालकों-कंडक्टर की नौकरी पर खतरा
इतना ही नहीं, इसका असर सिर्फ छात्रों और अन्य यात्रियों पर ही पड़ रहा है, बल्कि यात्रियों के अलावा ड्राइवर और कंडक्टरों पर नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है। साथ ही सिटी ट्रांसपोर्ट की बसों की वर्कशॉप में भी लगभग 70 कर्मचारी भी तनाव में हैं। उनका कहना है कि लगभग 60 बसें हट चुकी हैं 46 बसों को इस माह में हटा दिया जाएगा7 ऐसे में अब जो लगभग दो सौ चालक और दो सौ परिचालक भी तनाव में हैं। जिसके चलते सिटी बसों के ड्राइवर और कंडक्टरों में बेचैनी है।
50-60 बसें हो चुकी हैं खड़ीं
मेरठ क्षेत्र के यूपीएसआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक संदीप कुमार नायक का कहना है कि मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट लिमिटेड के अंतर्गत 97 बसें सीएनजी बसें, आठ वॉल्वो एसी और 50 इलेक्ट्रिक बसें हैं। जो सीएनजी बसें हैं, उनकी समय अवधि समाप्त हो गई है, जिसकी वजह से अब वह सड़कों पर नहीं चल सकती हैं। इनमें से 50 से 60 बसें वह हैं, जिन्हें अब तक खड़ा कर दिया गया है, जबकि बाकि की जो बसें हैं, वह भी आने वाले दिनों में खड़ी हो जाएंगी।