– बिजनौर और मेरठ सीट पर प्रत्याशी बदलने की चर्चा तेज
– कमजोर प्रत्याशियों को लेकर पश्चिम के नेताओं ने दर्ज कराया विरोध
अनुज मित्तल (समाचार संपादक
मेरठ। लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। ऐसे में अब तक निष्क्रिय राजनीतिक दल भी पूरी सक्रियता के साथ मैदान में उतार आए हैं। जिन प्रमुख दलों ने अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं, स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं के विरोध या विपक्षी दल के प्रत्याशी को देख उन्हें बदलने की कवायद भी शुरू हो चुकी है। ऐसे में समाजवादी पार्टी द्वारा तीन दिन पहले घोषित किए गए बिजनौर और मेरठ सीट पर प्रत्याशी बदलने की चर्चा तेज है।
बसपा ने तीन दिन पहले आठ सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए थे और आश्चर्यजनक रूप से इनमें छह अनुसूचित जाति के प्रत्याशी हैं। आरक्षित सीट के साथ ही अनारक्षित सीट पर भी सपा ने दलित दांव चलते हुए सभी को चौँका दिया था। लेकिन अब अपने ही नेताओं और कार्यकर्ताओं की नाराजगी देख सपा नेतृत्व कुछ सीटों पर बैकफु ट पर आता दिखाई दे रहा है।
मेरठ सीट पर समाजवादी पार्टी से किसी स्थानीय दलित या गुर्जर के साथ ही मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में उतारे जाने की उम्मीद थी। लेकिन यहां से मूलरूप से बुलंदशहर निवासी भानू प्रताप सिंह जो कि दलित हैं, उन्हें प्रत्याशी घोषित कर सभी को चौंका दिया। जिसका पहले दिन से ही विरोध शुरू हो गया।
मेरठ सीट पर सपा की तरफ से विधायक शाहिद मंजूर, विधायक अतुल प्रधान और विधायक रफीक अंसारी के साथ ही पूर्व विधायक योगेश वर्मा तथा जिलाध्यक्ष विपिन चौधरी दावेदारी कर रहे थे। लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्थानीय स्तर पर चल रही गुटबाजी को देखते हुए बाहरी प्रत्याशी मैदान में उतार दिया।
ऐसा ही कुछ बिजनौर सीट पर हुआ। यहां पर पूर्व विधायक रूचिवीरा को प्रबल दावेदार माना जा रहा था। हालांकि कुछ गुर्जर और मुस्लिम नेता भी यहां से दावेदारी कर रहे थे। इनमें विधायक अतुल प्रधान की दावेदारी मेरठ सीट के साथ हस्तिनापुर सीट पर भी थी। लेकिन इस सीट पर भी पूर्व सांसद यशवीर सिंह जो कि दलित हैं, उन्हें मैदान में उतारकर पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी पैदा कर दी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब इन दोनों सीटों के समीकरण को ध्यान में रखते हुए प्रत्याशी बदलने की कवायद शुरू हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि बुधवार तक अखिलेश यादव मेरठ और बिजनौर सीट पर प्रत्याशी बदलेंगे। मेरठ से अभी तक पूर्व विधायक योगेश वर्मा का दावा मजबूत माना जा रहा है। इसके पीछे सपा की सोच है कि यदि मुस्लिम को टिकट दिया जाता है, तो वह सिर्फ मुस्लिम वोटों में ही सिमट कर रह जाएगा और इससे सीधे भाजपा को लाभ मिलेगा। ऐसे में सपा इस सीट पर दलित- मुस्लिम समीकरण की रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
वहीं बिजनौर सीट पर अब विधायक शाहिद मंजूर को चुनाव लड़ाने की बात कही जा रही है। इसके पीछे चर्चा है कि शाहिद मंजूर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुस्लिम राजनीति में जहां अच्छी पकड़ रखते हैं। वहीं हस्तिनापुर विधानसभा में उनके हर जाति और बिरादरी में समर्थक और वोट हैं।