पश्चिम की हर सीट पर भाजपा की घेराबंदी में जुटा विपक्ष

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– मेरठ सीट पर भी बाहरी प्रत्याशी को उतारकर भाजपा ने मुश्किल अपनी राह
– मुजफ्फरनगर, बिजनौर, कैराना और नगीना में फंसता नजर आ रहा पेंच
– बागपत और गाजियाबाद में ही नजर आ रही आसान राह


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी दलों के चुनावी पत्ते सामने आना शुरू हो गए हैं। अभी तक की जो तस्वीर सामने आ रही है, उसमें बागपत और गाजियाबाद सीट को छोड़ दें तो बाकी लगभग सभी सीटों पर विपक्ष भाजपा की पूरी तरह घेराबंदी करता नजर आ रहा है।

बागपत सीट गठबंधन के तहत रालोद के खाते में है। यहां पर डा. राजकुमार सांगवान को प्रत्याशी बनाया गया है। हालांकि उनकी घेराबंदी का भी बसपा और सपा ने पूरा प्रबंध किया है। क्योंकि बसपा ने जहां वैश्य प्रत्याशी उतारकर भाजपा के वोट में सेंधमारी करने की तैयारी की है, तो सपा ने गुर्जर कार्ड खेलते हुए रालोद की दूसरी तरफ से घेराबंदी की है। लेकिन जाट और अन्य मतों के सहारे यहां रालोद का दावा मजबूत माना जा रहा है।

यही स्थिति गाजियाबाद की भी है, क्योंकि गाजियाबाद सीट से भाजपा अब तक एक तरफा जीत हासिल करती आई है,तो गाजियाबाद को लेकर भाजपा पूरी तरह निश्चिंत है।
लेकिन इन दो सीटों को छोड़कर भाजपा बाकी सीटों पर अब फंसती नजर आ रही है। मेरठ सीट पर बहुत सोच समझ कर भाजपा ने अभिनेता अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा की सोच इस सीट पर क्या रही? यह स्थानीय नेताओं की भी समझ में नहीं आ रहा है। क्योंकि स्थानीय नेताओं पर भरोसा न करके भाजपा जो कि पिछले चुनाव में बमुश्किल चुनाव जीती थी, इस बार और ज्यादा फंसती नजर आ रही है। इसका बड़ा कारण बसपा द्वारा त्यागी बिरादरी से प्रत्याशी उतारना है। देववृत्त त्यागी को लेकर मेरठ से लेकर हापुड़ तक त्यागी समाज लगभग एकजुट नजर आ रहा है। ऐसे में भाजपा को जहां त्यागी समाज का वोट कटने से तगड़ा झटका मिलता नजर आ रहा है, तो दूसरी ओर अरुण गोविल का पंजाबी खत्री समाज से होना कहीं न कहीं वैश्य मतदाताओं को भी उदासीन करेगा और स्थानीय कार्यकर्ता भी उस जोश के साथ चुनाव में मुश्किल ही नजर आएं, जिस जोश के साथ वह पहले नजर आते थे।

मुजफ्फरनगर सीट पर लगातार तीसरी बार डा. संजीव बालियान को भाजपा ने उतारा है। उनकी घेराबंदी और जाट वोटों के बंटवारे के लिए सपा ने हरेंद्र मलिक को मैदान में उतारा है। बताया जा रहा है कि हरेंद्र मलिक को भाकियू का पूरा समर्थन है। इसके साथ ही मुस्लिम वोट जहां एक तरफा उनकी तरफ होगा तो गुर्जर वोट भी उनकी सेंधमारी होगी। वहीं बसपा प्रत्याशी दारा सिंह प्रजापति के मैदान में आने से भाजपा का अति पिछड़ा वोट भी भाजपा से कटेगा। इस सबके बीच सबसे अहम बात ये है कि सपा ने बिजनौर सीट पर सैनी प्रत्याशी उतारकर खतौली तक सैनी बिरादरी को साधने का प्रयास किया है। इसके अलावा भाजपा की जीत का आधार बनने वाली सरधना विधानसभा में इस बार डा. संजीव बालियान को लेकर ठाकुर चौबीसी में खासी नाराजगी नजर आ रही है।

कैराना सीट पर वर्तमान सांसद प्रदीप चौधरी भी घिरे हुए नजर आ रहे हैं। क्योंकि यहां पर इस बार हसन परिवार से इकरा हसन अकेली मुस्लिम प्रत्याशी हैं। जबकि बसपा ने यहां पर ठाकुर कार्ड खेलते हुए भाजपा की पूरी तरह घेराबंदी कर दी है। बिजनौर सीट रालोद के खाते में है। लेकिन यहां पर बसपा ने जाट प्रत्याशी उतारकर जहां भाजपा को झटका दिया है, तो सपा ने अपना प्रत्याशी बदलकर उनकी जगह दीपक सैनी को मैदान में उतारकर भाजपा को दोहरी चोट दी है।

हालांकि नगीना में जरूर तीनों प्रत्याशियों के बीच संघर्ष नजर आ रहा है। यहां पर गैर दलित वोट और मुस्लिम का रूख चुनाव परिणाम की दशा और दिशा तय करेगा।

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