दुघर्टना के नाम पर होता है इलाज कराने वालों का सबसे ज्यादा उत्पीड़न।
शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। शहर के अस्पताल लूट का अड्डा बन गए हैं। चिकित्सा पेशे को सेवा और धर्म से जोड़कर देखा जाता है। लेकिन अब चिकित्सक सेवा के बजाए मरीजों या उनका इलाज कराने वालों की जेब पर सीधे डाका डाल रहे हैं। अहम बात ये है कि इनके इस कारनामे पर स्वास्थ्य विभाग या प्रशासन भी कोई अंकुश नहीं लगा रहा है। अधिकांश चिकित्सक सत्ता पक्ष से जुड़कर जमकर लूट मचा रहे हैं।
इस समय शहर में न्यूटिमा अस्पताल का मामला चर्चा में है। सपा विधायक अतुल प्रधान द्वारा यहां मरीज से इलाज के नाम पर ज्यादा उगाही का विरोध करने के बाद शुरू हुई राजनीति में सपा विधायक और चिकित्सक आमने सामने आ गए हैं। लेकिन यह भी सच है कि कहीं न कहीं अस्पताल प्रबंधन के पीछे सत्ता पक्ष का सहयोग पूरी तरह बना हुआ है। जिसके चलते पुलिस प्रशासन भी सीधे कार्रवाई के नाम पर कागजी खानापूर्ति में लगा हुआ है।
लेकिन बात सिर्फ न्यूटिमा अस्पताल की नहीं है। शहर के दूसरे कई अस्पताल भी इलाज के नाम पर खुली लूट कर रहे हैं। एक ताजा उदाहरण बागपत रोड स्थित एक नामचीन अस्पताल का है। एक बालक कार दुघर्टना में सिर में चोट आने से आंशिक रूप से घायल हो गया और दुघर्टना करने वाला कार चालक और बच्चे के परिजन उसे इस अस्पताल में ले गए। जहां पर बच्चे के इलाज के नाम पर पहले उसके सिर का सिटी स्कैन कराया गया, उसके बाद बिना किसी गंभीर चोट के बावजूद बच्चे को आईसीयू में एडमिट करा दिया गया। जबकि बच्चा घर जाने की जिद कर रहा था और उसके परिवार वाले भी बच्चे की ठीक हालत को देखते हुए घर ले जाने की बात कर रहे थे।
लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे को 48 घंटे में डिस्चार्ज किया। इस इलाज के नाम पर अस्पताल प्रबंधन ने दुघर्टना करने वाले चालक से दवाओं से अलग 35 हजार रुपये से ज्यादा वसूल किए। जबकि यदि यही दुघर्टना किसी कसबे में हुई होती तो वहां चिकित्सक इलाज के नाम पर बमुश्किल हजार-पन्द्रह सौ रुपये लेकर बच्चे का इलाज कर देता।
सभी की होनी चाहिए जांच
इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट लोकेश खुराना का कहना है कि सभी अस्पतालों के निर्माण से लेकर उनके भीतर सुरक्षा मानकों, इलाज के नाम पर हो रही लूट आदि की गहनता से जांच होनी चाहिए। अस्पतालों के लिए मानक भी तय होने चाहिए। क्योंकि अब शहर के अस्पताल और चिकित्सक पूरी तरह मनमानी कर जनता का दोहन करने में जुटे हैं। इसके अलावा सभी चिकित्सकों की संपत्ति की जांच भी होनी चाहिए।
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