– लड़की ने कहा कि घर से भागकर लखनऊ में की शादी, शारीरिक संबंध नहीं बनाए
गोरखपुर। चिलुआताल में इलाके में एक 17 साल की नाबालिग लड़की अपने प्रेमी के साथ चली गई थी। परिजनों ने गुमशुदगी का केस दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने जांच के दौरान प्रेमी को गिरफ्तार किया। कोर्ट में लड़की के बयान के आधार पर आरोपी पर पॉक्सो की धारा नहीं लगाई गई।
चिलुआताल से लापता नाबालिग लड़की के केस में विवेचना पर हाईकोर्ट ने आपत्ति भी की थी, लेकिन पुलिस मुख्यालय ने दरोगा की विवेचना को सही ठहराते हुए कोर्ट में शपथ पत्र दिया है। हाईकोर्ट ने भी इसे स्वीकार कर लिया है।
चिलुआताल थाने में 19 अप्रैल 2025 को 17 साल की लड़की के लापता होने पर अपहरण का केस दर्ज किया गया। पुलिस ने 26 मई को कुशीनगर के कसया थाना क्षेत्र के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद लड़की का कोर्ट में बयान कराया गया।
जहां लड़की ने कहा कि वह युवक से प्रेम करती है और खुद से लखनऊ गई थी। वहां पर एक मंदिर में शादी भी की, लेकिन शारीरिक संबंध नहीं बनाया। इसके साथ ही लड़की ने माता-पिता की इज्जत का हवाला देते हुए मेडिकल कराने से भी इनकार कर दिया।
चिलुआताल थाने के विवेचक आकाश जायसवाल ने लड़की का बयान लिया। जिसे आधार बनाते हुए युवक पर शारीरिक संबंध बनाने के उद्देश्य से अपहरण करने का आरोपी बनाते हुए मुकदमा दर्ज किया। इसके बाद जांच कर चार्जशीट दाखिल कर दी।
हाईकोर्ट ने की आपत्ति
मामले का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़की के अपहरण में पॉक्सो की धारा न लगाए जाने पर आपत्ति जता दी। गोरखपुर के अलावा इसी तरह के मामले कुशीनगर, अलीगढ़ समेत आठ जिलों में आए थे। इस वजह से हाई कोर्ट ने सभी एसएसपी को शपथ पत्र देने का निर्देश दिया। इसके बाद कुछ जिले के अधिकारी धारा बढ़ाने की संस्तुति करते हुए पुलिस मुख्यालय फाइल लेकर पहुंचे, लेकिन मुख्यालय ने विवेचक की कार्यप्रणाली को सही ठहराया। अब पुलिस की ओर से पॉक्सो की धारा न लगाए जाने का तर्क देते हुए कोर्ट में शपथ पत्र दे दिया गया है। एसपी उत्तरी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पुलिस की ओर से शपथ पत्र हाई कोर्ट भेजा गया है।
पहली बार नाबालिग के बयान पर नहीं लगा पॉक्सो
विवेचना के दौरान तथ्यों के आधार पर कई बार पुलिस रेप जैसे केस को तथ्यों के साथ हटा चुकी है। कई मामले फर्जी भी साबित किए जा चुके हैं। लेकिन नाबालिग लड़की के बयान के आधार पर अगवा करने के मामले में पहली बार इस तरह का फैसला सामने आया है। अब सभी को कोर्ट के आदेश का इंतजार है, ताकि इस पर आखिरी फैसला हो सके।
पॉक्सो न बढ़ाने का पुलिस ने दिया तर्क
पॉक्सो की धारा न लगाने के लिए पुलिस की ओर से तीन प्रमुख तर्क दिए गए हैं। पहला तर्क यह दिया गया कि नाबालिग लड़की ने बयान में प्रेम संबंध, इच्छा से मंदिर में शादी और यौन संबंध न बनाने का जिक्र किया। इससे अश्लील स्पर्श, जबरन चुंबन, अश्लील बातचीत, फोटो बनाना या किसी प्रकार का यौन उत्पीड़न साबित नहीं होता है। दूसरा तर्क यह कि 17 मई को पीड़िता ने मेडिकल कराने से इनकार कर दिया। तीसरा तर्क दिया गया है कि विवेचना के दौरान अश्लील हरकत, यौन उत्पीड़न, अश्लील बातचीत के डिजिटल साक्ष्य नहीं मिले हैं।