Wednesday, June 18, 2025
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मेरठ: हिंदी दिवस के अवसर पर ‘काव्य मंजरी’ का आयोजन


शारदा न्यूज़, संवाददाता |

मेरठ। डीएवी पब्लिक स्कूल में हिंदी दिवस पूर्ण उत्साह के साथ मनाया गया। 15 दिनों से डीएवी स्कूल में हिंदी पखवाड़ा’ के अंतर्गत भाषण प्रतियोगिता, नारा लेखन, दोहा, गायन, कहानी लेखन और चित्रात्मक गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा था।

हिंदी दिवस के अवसर पर ‘काव्य मंजरी’ का आयोजन किया गया जिसमें कक्षा तीसरी से ग्यारहवीं के 14 छात्र – छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कवि सुमनेश सुमन तथा अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री तुषा शर्मा उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथियों को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक नई पौध तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया। तत्पश्चात बाल कवियों ने अपनी कविताओं की प्रस्तुति कर खूब वाहवाही लूटी। ‘ओजस्विनी’ तथा ‘उद्देश्य’ ने हिंदी भाषा की ओजस्विता को मुखरता दी।

‘एकांश’ ने जीवन की सत्यता को उजागर किया, ‘अदीब’ ने ‘हरिवंश राय बच्चन’ की कविता को वाणी प्रदान की। ‘अहमान’ तथा ‘आरव लोहिया’ ने ‘दिनकर जी’ को मुखर किया। ‘आस्था’ ने बेटी की मनोभावना को अभिव्यक्ति दी, तो ‘अनन्या’ तथा ‘आरुष’ ने ‘हरिओम पवार’ की व्यंग्य शैली को अभिव्यक्त किया।

‘यश’ की यशस्वी कविता, ‘रिफ़ा’ का आत्मविश्वास, ‘अश्विनी’ का ‘विश्वास’ रूप देखते ही बनता था। ‘रिधिका’ की ‘पीयूष’ की कृति ‘आरंभ है प्रचंड’ तथा ‘कृतिका’ के ‘शिव तांडव’ के गायन की प्रस्तुति ने श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। बालकवि कुमार विश्वास, हरिओम पवार , सविता पाटिल, दिनकर आदि श्रेष्ठ कवियों के प्रतिरूप रूप में अनुपम लग रहे थे।

संचालिकाएं परी बंसल तथा अनुष्का जैन ने काव्य मंजरी के सूत्रों को बांधने का अद्भुत कौशल प्रस्तुत किया।
राष्ट्र कवि सुमनेश सुमन ने अपनी कविता की पंक्तियां ‘जिस भाषा में पहले पहले मुखरित मेरी गिरा हुई, जिसको सुनकर मेरी जननी विस्मित फिर अस्थिरा हुई’ द्वारा अपनी भाषा के सम्मान का भाव प्रदर्शित किया।

अन्तर्राष्ट्रीय कवयित्री तुषा शर्मा ने अपनी जन्मभूमि के प्रति अपनी मनोभावना व्यक्त कर कविता ‘जिस धरती ने आजादी का पहला शंख बजाया था’ को मुखरता प्रदान की। मुख्य अतिथियों ने बाल कवियों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद प्रदान किया।

अंत में प्रधानाचार्या अपर्णा जैन ने विद्यार्थियों को अपनी भाषा का सम्मान करने की प्रेरणा दी तथा मंच पर आसीन बाल कवियों को सुभाशीष प्रदान किया।

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