शारदा रिपोर्टर मेरठ। आपका दिल सही तरीके से काम कर रहा है या नहीं इसका पता हॉस्पिटल्स में रखी ईसीजी मशीनें लगाने में बड़े काम आती है। ऐसे में अगर यही तकनीक एक पोर्टेबल रूप में आपके साथ हर वक्त घर पर मौजूद हो, तो यह कितने काम का साबित हो सकता है।
ईसीजी क्या करती है?
ईसीजी या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, हार्ट की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को सतह रूप से दिखाती है। इससे हार्ट, उसके चैम्बर के आकार और संभावित हार्ट अटैक को रिदम, कंडक्शन के माध्यम से समझने में मदद करती है।
हॉस्पिटल के ईसीजी मॉनिटर और पोर्टेबल होम ईसीजी में फर्क
अस्पतालों में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक ईसीजी मॉनिटर और पोर्टेबल ईसीजी दोनों ही तेज और पेनलेस होते हैं, लेकिन दोनों की तकनीक में अंतर होता है। बाजार में उपलब्ध होम ईसीजी के मॉनिटर में जहां दो लीड्स का इस्तेमाल होता है, तो वहीं अस्पताल या डॉक्टर के क्लीनिक में 12 लीड्स का।। इससे हार्ट को अलग-अलग एंगल से ज्यादा विस्तृत रूप में देखने में मदद मिलती है। वैसे सभी मॉनिटर्स में ऐसी तकनीक होती है, जो हार्ट रिदम का सही तरीके से पता लगाने में काम आती है।
किन मरीजों को चाहिए होम ईसीजी
ज्यादातर मरीजों को रेगुलर मॉनिटरिंग की जरूरत नहीं होती और उनके लिए होम ईसीजी मॉनिटर्स इतने जरूरी नहीं। ये उन लोगों के लिए ज्यादा कारगर हैं, जिनमें धड़कनों से जुड़ी समस्या का पता चला है और जिनकी धड़कनें सामान्य से तेज चलती हैं। इसलिए, अनियमित धड़कनों वाले मरीजों के लिए ये ज्यादा काम की है, खासकर जिनमें इसके लक्षण सामने आ चुके हैं।
इस तरह की होम डिवाइस की मॉनिटरिंग मरीज खुद करते हैं और उनके लिए बीमारी के लक्षण सबसे बेहतर रास्ता दिखाते हैं। घरों में इस्तेमाल होने वाले ईसीजी मॉनिटर्स आपके हार्ट रिदम और हार्ट रेट को ट्रैक करने में मदद कर सकते हैं, लेकिन इससे ब्लड प्रेशर का भी पता लगाया जा सकता है।
इस स्थिति में मदद लें
ये डिवाइस हार्ट अटैक या स्ट्रोक के बारे में बताने के लिए डिजाइन नहीं किए गए हैं और जरूरत पड़ने पर तत्काल मेडिकल मदद लेने की जगह भी नहीं ले सकते।
ऐसा होने पर मदद लें:
सीने में दर्द
सांस लेने में तकलीफ
धड़कनों का बढ़ना जो रुक न रहा हो
लंबे समय से चक्कर या कमजोरी महसूस होना