एजेंसी, नई दिल्ली। सावन का पवित्र महीना शुरू होने के बाद पूरे देश में कांवड़ यात्रा निकल रही है। लाखों की संख्या में कांवड़ यात्री अलग-अलग जगहों से गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने जा रहे हैं। कई राज्यों में कांवड़ियों के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। खासकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सरकार ने कांवड़ रूट के लिए कुछ गाइडलाइंस जारी की है, जिसे लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल पूछा है।
यूपी और उत्तराखंड सरकार ने कांवड़ मार्ग पर सभी दुकानदारों को क्यूआर कोड लगाने का आदेश दिया है, जिसमें दुकान के मालिक की पूरी पहचान मौजूद रहेगी। वहीं, अब सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों से इस फैसले की वजह पूछी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 1 हफ्ते का समय दिया है। जस्टिस एमएम सुंद्रेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों सरकारों को अगले मंगलवार तक क्यूआर कोड के आदेश का कारण सुप्रीम कोर्ट को बताना होगा।
न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और शिक्षाविद अपूवार्नंद झा व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई 22 जुलाई के लिए स्थगित कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश द्वारा जारी इसी तरह के निदेर्शों पर रोक लगा दी थी, जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों के नाम और अन्य विवरण प्रदर्शित करने के लिए कहा गया था।
उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा 25 जून को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए झा ने कहा था, ह्यनए उपायों में कांवड़ मार्ग पर स्थित सभी रेस्तरां पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य है, जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता हो। इस तरह उसी भेदभावपूर्ण तरीके से पहचान की बात हो रही है जिस पर पहले इस अदालत ने रोक लगा दी थी।