नई दिल्ली। पिछले 11 सालों में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट पहली बार अपने उच्च स्तर पर पहुंचा है। आॅपरेशन सिंदूर के बाद दुनिया ने भारत का दमखम देखा है। पिछले 1 दशक में भारत का रक्षा निर्यात 34 गुना बढ़ गया है, जो साल 2014 में 686 करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2025 में 23,622 करोड़ रुपये हो गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि औद्योगिक लाइसेंसिंग प्रक्रिया को सरल बनाने, लाइसेंस व्यवस्था से भागों और घटकों को हटाने के साथ-साथ उपकरणों के निर्यात के नियमों को आसान बनाने जैसी नीतियों ने भारत को रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ाने में मदद की है। इस बारे में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर इस बारे में बताया कि भारत के रक्षा निर्यात ने 2024-25 में रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की है। इसे 34 गुना की बढ़ोतरी हुई है। राजनाथ सिंह के मुताबिक यह तेज गति से मिली प्रगति है, जो देश की रक्षा प्रणाली के बारे में बताती है।
इसमें सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों को भी लाभ हुआ है। अब भारतीय कंपनियां भी ग्लोबल लेवल पर बड़े पैमाने पर काम करेंगी और मेक इन इंडिया को बढ़ावा देंगी। रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर कई नए हब स्थापित करने वाली है और भारत वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। कई विदेशी कंपनियां भी अपनी तकनीक भारतीय कंपनियों के साथ साझा करने और देने को तैयार है। रिपोर्ट्स के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने लगभग 80 देशों को भारत निर्मित गोला-बारूद, हथियार, सिस्टम/सब-सिस्टम और उनके पुर्जे जैसे कई डिफेंस आइटम निर्यात किए हैं। सरकार अब 2026 तक सालाना 30,000 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात करने का लक्ष्य तय करेगी।