Monday, July 7, 2025
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ट्रेड डील पर भारत ने अमेरिका को दिखाया कड़ा रुख

  • राष्ट्रीय हित में होगा तब ही डील संभव।

एजेंसी, नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच ट्रेड डील को लेकर कारोबारी जगत नजरें गड़ाए हुए है। हर किसी को इस कारोबारी डील का बेस्रब्री से इंतजार है। हालांकि, अब गेंद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप या अमेरिका के पाले में है।

उन्हें फैसला करना है कि भारत से किस तरह की ट्रेड डील करनी है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है कि नई दिल्ली दबाब में नहीं झुकेगा। मिली जानकारी के अनुसार, भारत ने अमेरिका के साथ होने वाले ट्रेड डील के लिए कृषि और डेयरी जैसे क्षेत्रों में प्रमुख मुद्दों पर अपनी सीमाएं तय कर दी हैं। इसलिए अब सौदे को अंतिम रूप देने की जिम्मेदारी वाशिंगटन के हाथ में है। सूत्रों ने बताया कि अगर मुद्दे सुलझ जाते हैं, तो 9 जुलाई से पहले अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा की जा सकती है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत सहित दर्जनों देशों के लिए 90-दिन की टैरिफ छूट दी गई थी। यह 9 जुलाई को खत्म हो रही है। दोनों देशों ने फरवरी में द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए बातचीत शुरू करने की घोषणा की थी। इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक बीटीए के पहले चरण को पूरा करने की समयसीमा तय की। उससे पहले, दोनों पक्ष अंतरिम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। दो अप्रैल को अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर 26 प्रतिशत का अतिरिक्त जवाबी शुल्क लगाया, लेकिन इसे 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया।
हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाया गया 10 प्रतिशत मूल शुल्क अभी भी लागू है। भारत इस 26 प्रतिशत शुल्क से पूरी छूट चाहता है। एक सूत्र ने कहा, अगर प्रस्तावित व्यापार वार्ता विफल हो जाती है, तो 26 प्रतिशत शुल्क फिर से लागू हो जाएंगे।

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत समय सीमा के आधार पर कोई व्यापार समझौता नहीं करता है और अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते को तभी स्वीकार करेगा, जब यह राष्ट्रीय हित में होगा।

उन्होंने कहा कि एफटीए तभी संभव है जब दोनों पक्षों को लाभ मिले और यह दोनों पक्षों के लिए लाभ वाला समझौता होना चाहिए। पिछले सप्ताह ही भारतीय दल अमेरिका के साथ अंतरिम व्यापार समझौते पर बातचीत करके वाशिंगटन से लौटा है। दोनों देशों के बीच इस्पात, एल्युमीनियम (50 प्रतिशत) और वाहन (25 प्रतिशत) शुल्क पर भी मतभेद हैं।

 

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