Home उत्तर प्रदेश Meerut UP By-Election 2024: प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं होगा जातीय चक्रव्यूह को...

UP By-Election 2024: प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं होगा जातीय चक्रव्यूह को भेदना

0

– यूपी उपचुनाव में वेस्ट यूपी की चारों सीटों पर जातीय समीकरणों पर ही टिका है पूरा चुनाव


अनुज मित्तल/मेरठ- वेस्ट यूपी में 13 नवंबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव में जातीय चक्रव्यूह भेदने के लिए सियासी दलों को ऐडी चोटी का जोर लगाना होगा। चारों सीटों में हर सीट का अपना अलग जातीय समीकरण है। ऐसे में एक दूसरे पर बयानबाजी में कड़वाहट देखने को मिलने लगी है।

मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट लोकसभा क्षेत्र संभल में आती है। संभल सीट से जियाउर रहमान बर्क सपा से सांसद चुने गए हैं। उन्होंने कुंदरकी विधानसभा सीट से विधायकी से इस्तीफा दिया था। लोकसभा चुनाव में कुंदरकी सीट पर सपा रिकॉर्ड 57 हजार वोटों से जीती थी। इस सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें, तो मुस्लिम वोट करीब 59, ओबीसी 19, एससी 11, सामान्य 9 और अन्य दो फीसदी हैं। यहां करीब तीन लाख 96 हजार वोट हैं।

अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट हाथरस लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। विधायक अनूप वाल्मीकि हाथरस लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। 2022 में बीजेपी की विधायक जीतने के बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर सपा कांग्रेस गठबंधन को बीजेपी से ज्यादा वोट मिले हैं। यहां सपा के बिजेंद्र सिंह को 95,391 वोट और भाजपा के सतीश गौतम को 93,900 वोट मिले थे। इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो जाट वोट सबसे ज्यादा करीब सवा लाख हैं। जबकि दलित 51 हजार, ब्राह्मण 40 हजार और मुस्लिम 31 हजार हैं। वैश्य वोट यहां निर्णायक माने जाते हैं।

गाजियाबाद सदर सीट के विधायक अतुल गर्ग भी सांसद बन चुके हैं। साल 2004 में उपचुनाव में यहां से सपा जीती थी लेकिन अब दो बार से लगातार भाजपा जीत रही है। जातीय समीकरण को देखें तो गाजियाबाद सदर सीट पर वैश्य, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के वोट निर्णायक हैं।

मुजफ्फरनगर जनपद की मीरापुर विधानसभा लोकसभा में बिजनौर सीट का हिस्सा है। रालोद के विधायक चंदन चौहान फिलहाल बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद बन चुके हैं। जातीय समीकरण के तौर पर इस सीट पर एक लाख से अधिक मुस्लिम वोट हैं। 50 हजार से अधिक दलित, 24 हजार के करीब जाट और 18 हजार के करीब गुर्जर वोट हैं। जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग की वोट यहां सबसे ज्यादा संख्या में होने के साथ ही निर्णायक स्थिति में है।

ऐसे में यह तो तय है कि मुस्लिम बहुल सीट पर भाजपा को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। लेकिन अगर मुस्लिम बंटा तो भाजपा के हक में परिणाम जाएगा। इसके साथ ही अति पिछड़ा वर्ग का वोट इन चारों सीटों पर ही बेहद निर्णायक स्थिति में होगा। इसके साथ ही उपचुनाव में मतदान प्रतिशत भी चुनाव के रूझान को तय करेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here