Tuesday, April 22, 2025
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इमरजेंसी में इलाज के इंतजार में घंटों तड़पते है मरीज, डाक्टर्स रहते है लापता !

  • इमरजेंसी में है 72 बैडों की व्यवस्था, जेआर डाक्टर्स करते है देखभाल।
  • मरीज को भर्ती होने के बाद डाक्टर्स का करना पड़ता है लंबा इंतजार।

शारदा न्यूज, संवाददाता।

मेरठ। एलएलआरएम कॉलेज की इमरजेंसी में मरीजों को इलाज के लिए घंटो डाक्टरों का इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान तीमारदार ही मरीजों की देखभाल करते है जबकि कई बार मरीज की हालत बिगड़ जाती है जिसके बाद ही डाक्टर्स उन्हें देखने पहुंचते है।

मेडिकल की इमरजेंसी में रोजाना बड़ी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचते है लेकिन इन मरीजों को इलाज के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। कई बार गंभीर मरीजों को भी समय पर इलाज नहीं मिलने से उनकी जान पर बन आती है। जबकि मेडिकल प्रशासन मरीजों को अच्छी और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावें करता है।

– दो से तीन घंटे करना होता है इलाज

मेडिकल इमरजेंसी में कुल 72 बैड मरीजों के इलाज के लिए मौजूद है। इन बैडों पर हर समय मरीज मौजूद रहते है। लेकिन कई बार इमरजेंसी में मरीजों को इलाज पाने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। इस दौरान बैड पर मरीज तड़पता रहता है जिसकी देखभाल उसके तीमारदार करते है।

केस एक: इमरजेंसी में बैड पर डाक्टर का इंतजार कर रही मरीज रिहाना पुत्री इस्लामुद्दीन उम्र 23 वर्ष पिछले कई दिनों से बुखार से ग्रसित है। रिहाना के भाई सलीम ने बताया दो घंटे से अधिक समय बीतने के बाद भी कोई डाक्टर उसे देखने नहीं आया। मरीज के शरीर में इंफैक्शन फैल गया है। उसकी हालत चिंताजनक है लेकिन मेडिकल इमरजेंसी में मरीज की अनदेखी हो रही है।

– केस: इमरजेंसी मे एक और बैड पर लेटी सावित्री की नाक से खून बहता है। यह हालत एक सर्जरी के बाद पैदा हुई है। मरीज के परिजन उसे बड़ी उम्मीदों के साथ मेडिकल में लेकर पहुंचे लेकिन यहां उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है। घंटो तक मरीज के तीमारदार ही उसकी देखभाल करते रहे।

– जेआर (जूनियर रेजिडेंट) की रहती है ड्यूटी

इमरजेंसी में जेआर डाक्टर्स की ड्यूटी तीन शिफ्टों में लगाई जाती है। इसमें पहली शिफ्ट सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक। दूसरी शिफ्ट दो बजे से शाम सात बजे तक और तीसरी शिफ्ट शाम सात बजे से सुबह आठ बजे तक रहती है। इस दौरान जेई के साथ सीनियर्स डाक्टर्स भी मौजदू रहते है। लेकिन यहां भर्ती मरीजों को लंबे समय तक डाक्टरों का इंतजार करना पड़ता है।

इमरजेंसी इंचार्ज से मिलकर जितने भी जूनियर रेजिडेंट डाक्टर्स है उनकी निगरानी कराई जाएगी। इमरजेंसी में डाक्टर्स की लापरवाही बरदाश नहीं की जाएगी। जल्द ही इसको लेकर जरूरी कदम उठाए जाएंगे। डा. वीडी पांड्ेय, मीडिया प्रभारी, मेडिकल कॉलेज।

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