शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। भोले की झाल से शहर में सप्लाई होने वाला गंगाजल अभी तक सिंचाई विभाग की तरफ से निशुल्क दिया जा रहा है लेकिन इसकी एवज में नगर निगम जलकर के रूप में वसूली कर रहा है। गंगाजल की एवज में नगर निगम से राजस्व मिलेगा या नहीं इसका निर्णय शासन स्तर से ही होना है। अधिकारियों का मानना है कि अगर दिल्ली की तर्ज पर मेरठ नगर निगम से ही गंगाजल का मूल्य मिलता है तो सिंचाई विभाग का राजस्व बढ़ेगा।
गिरते भूगर्भ जल स्तर को ऊपर उठाने और शहर की जनता को स्वच्छ गंगाजल की आपूर्ति के लिए सरकार ने सात साल पहले गंगाजल परियोजना संचालित की थी। इसके अंतर्गत गंगनहर भोले की झाल पर 100 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया। मुख्य लाइन से शहर की छह लाख जनता को प्रतिदिन पांच क्यूसेक गंगाजल मुहैया कराया जा रहा है। बताया जा रहा है कि नगर विकास विभाग और सिंचाई विभाग के बीच हुए अनुबंध की शर्तों के मुताबिक ही अगली कार्रवाई होनी है।
सिंचाई विभाग दिल्ली को बेचता है गंगाजल
गंगनहर से दिल्ली को भागीरथी और सोनिया विहार दो पाइप लाइनों से गंगाजल की आपूर्ति होती है। भागीरथी लाइन से प्रतिदिन 200 क्यूसेक और सोनिया विहार से 150 से 282 क्यूसेक गंगाजल की आपूर्ति की जाती है। इसको लेकर उप्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच अनुबंध है। गंगाजल की एवज में सिंचाई विभाग को प्रतिवर्ष आठ से नौ करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त होता है।
गंगाजल परियोजना का कार्य अभी अधूरा है। केवल पांच क्यूसेक गंगाजल की ही आपूर्ति हो रही है। गंगाजल की एवज में शुल्क लिए जाने का निर्णय शासन स्तर से किया जाएगा। – नीरज लांबा, अधिशासी अभियंता- गंगनहर खंड मेरठ।