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पूरा करना है तीसरी बार सरकार का सपना, तो दलितों को बनाना होगा अपना

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  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलितों को जोड़ने की भाजपा ने शुरू की कवायद।
  • मंगलवार को हापुड़ में 14 जनपदों के अनुसूचित जाति के लोग जुटेंगे।
  • भाजपा अनुसूचित मोर्चा के बैनर तले हो रहा कार्यक्रम आयोजित।

अनुज मित्तल, समाचार संपादक |

मेरठ। विपक्षी एकजुटता के आगे भाजपा को भी आभास होने लगा है कि उसे अपने वोट बैंक में अब अतिरिक्त वोटर चाहिए। ऐसे में दलितों का साथ पाने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया है। क्योंकि इस वक्त दलित ही ऐसा वोट बैंक है, जो भाजपा से जुड़ सकता है। इसी को देखते हुए पश्चिम के दलितों को साधने के लिए मंगलवार को पश्चिमी क्षेत्र का अनुसूचित मोर्चा का सम्मेलन हापुड़ में हो रहा है।

भाजपा संगठन ने उत्तर प्रदेश को छह क्षेत्रों में विभाजित किया हुआ है। इनमें एक क्षेत्र पश्चिमी क्षेत्र है, जिसमें मंडल स्तर पर मेरठ, सहारनपुर और मुरादाबाद आते हैं। जबकि जनपद की अगर बात करें तो मेरठ, बागपत, हापुड़, बुलंदशहर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, अमरोहा और संभल आते हैं। पश्चिमी क्षेत्र में 14 लोकसभा और 70 विधानसभा आती हैं।

    लोकसभा चुनाव में इन सभी 14 लोकसभा सीटों को साधने के लिए भाजपा ने संगठन स्तर पर कवायद तेज कर दी है। लगातार मोर्चा और प्रकोष्ठ के सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं। लेकिन वर्तमान में भाजपा की नजर दलितों पर है। हालांकि भाजपा मुस्लिमों पर भी फोकस कर रही है, लेकिन यह सभी को पता है कि मुस्लिम आसानी से भाजपा के पक्ष में आने वाला नहीं है। अब सिर्फ दलित ही ऐसा वोटर है, जो वर्तमान में बसपा के गिरते ग्राफ को देखते हुए भाजपा की तररफ रूख कर सकता है। इसीलिए भाजपा की नजर दलितों पर है।
हालांकि दलित वोट साधने के लिए भाजपा ने पहले भी जोर लगाए हैं, लेकिन वह उतनी सफल नहीं रही है। पश्चिमी क्षेत्र में भाजपा के सामने मायावती को वोट बैंक को तोड़ना तो चुनौती है ही, साथ ही आजाद समाज पार्टी के रूप में भी एक चुनौती है। आसपा का असर सहारनपुर के साथ ही आसपास के जनपदों में कुछ हद तक है। लेकिन अभी वह इतना नहीं है कि ज्यादा प्रभावित कर सके।

अब सवाल ये उठता है कि यदि बसपा का यही उदासीन रवैया रहता है तो दलित वोट बैंक किधर जाएगा। इसी को सामने रखते हुए सभी राजनीतिक दलों की नजर अनुसूचित जाति के वोटरों पर टिकी है। भाजपा दलितों के साथ ही अनुसूचित जाति के तहत आने वाले खटीक, वाल्मीकि आदि समाज को भी अपने साथ पूरी तरह जोड़ने की कोशिश में है।

हापुड़ का सम्मेलन दिखएगा ताकत और प्रयास
हापुड़ में मंगलवार को अनुसूचित मोर्चा का पश्चिमी क्षेत्र का सम्मेलन है। इस सम्मेलन में भाजपा नेतृत्व ने एक लाख से ज्यादा कार्यकर्ताओं को लाने का लक्ष्य दिया है। हालांकि यह बड़ा लक्ष्य है, लेकिन यदि इसके आधे भी भाजपाई जुटा लेते हैं, तो निश्चित रूप से विपक्षी दलों को पसीना लाने के लिए काफी होंगे। साथ ही चुनाव तक सम्मेलन में आने वालों के द्वारा दूरी बनाए हुए दलितों को जोड़ते हुए उन्हें बूथ तक लाने में यदि कामयाब हो जाते हैं, तो भाजपा की राह आसान हो सकती है।

– दलित ने राह बदली तो होगी मुश्किल

भाजपा जानती है कि यदि दलित राह बदली तो उसके सामने मुश्किल आ सकती है। बसपा का मूल वोट बैंक दलित ही है, लेकिन इस समय बसपा नेतृत्व जहां उदासीन नजर आ रहा है, तो उसका वोटर भी खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। ऐसे में इस लगभग नेतृत्व विहीन हो चुका यह वोट बैंक यदि  भटक जाता है, तो भाजपा को मुश्किल पड़ सकती है।

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