– शासन ने लिया संज्ञान।
हापुड़। गन्ना समिति में हुए सात करोड़ रुपये के घोटाले का शासन ने सख्त संज्ञान लिया है। गन्ना एवं चीनी आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने इस मामले की जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम गठित कर दी है। खास बात यह है कि इस टीम में मुजफ्फरनगर और बिजनौर जिलों के वरिष्ठ अफसरों को शामिल किया गया है। इससे पहले गठित स्थानीय स्तर की जांच टीम को स्थगित कर दिया गया है।
गन्ना समिति हापुड़ के लिपिक भारत कश्यप ने बचत खातों से करीब सात करोड़ रुपये का फजीर्वाड़ा कर दिया। इस घोटाले की भनक तक अधिकारियों को नहीं लगी। खुलासा होते ही लिपिक और समिति के सचिव मनोज कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। मगर जांच में कई अन्य अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका जताई जा रही है।
प्रारंभिक जांच के लिए डीएम द्वारा एसडीएम अंकित वर्मा के नेतृत्व में स्थानीय टीम गठित की गई थी, जिसमें सीटीओ और डीसीओ शामिल थे। लेकिन भाकियू जिलाध्यक्ष पवन हूण की ओर से बाहरी अधिकारियों से जांच कराने की मांग उठाई गई थी। लखनऊ में भी संगठन ने शासन को ज्ञापन सौंपा था। इसी के बाद शासन ने नए सिरे से जांच दल का गठन किया है।
जांच दल में कौन-कौन शामिल
गन्ना एवं चीनी आयुक्त द्वारा गठित पांच सदस्यीय जांच दल में निम्न अधिकारी शामिल हैं
अध्यक्ष: एडीएम (डीएम द्वारा नामित)
सदस्य: मुख्य/वरिष्ठ कोषाधिकारी (डीएम द्वारा नामित)
सदस्य सचिव: संजय सिसौदिया, डीसीओ मुजफ्फरनगर
सदस्य: फतेह सिंह चौधरी, संपरीक्षक, कार्यालय जिला गन्ना अधिकारी बिजनौर
सदस्य: सुभाष यादव, सचिव, गन्ना समिति रामराज मुजफ्फरनगर
सिस्टम पर थे सुरक्षा इंतजाम, फिर भी हो गया घोटाला
घोटाले में इस्तेमाल हुए फर्जी बाउचरों पर दो अधिकारियों के हस्ताक्षर मौजूद थे। बैंक खातों पर अलर्ट मैसेज और हर तीन माह में उच्च अधिकारियों द्वारा निरीक्षण की व्यवस्था भी थी। बावजूद इसके करोड़ों का घोटाला सामने आया। ऐसे में अब बाहरी जांच दल की रिपोर्ट से कई वरिष्ठ अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।