Friday, June 27, 2025
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अलविदा प्रयागराज फिर बारह साल बाद मिलेंगे 

महाकुम्भ का समापन, आखिरी दिन एक करोड़ से अधिक लोगों ने किया स्नान  


प्रयागराज से संजय प्रकाश के साथ ज्ञान प्रकाश 

दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ जिस भव्यता के साथ आरंभ हुआ था, उसी भव्यता के साथ कुंभ का समापन हो रहा है। इन पूरे 45 दिनों में करीब 66 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम मई डुबकी लगाकर पुण्य प्राप्त किया।

प्रयागराज ने 45 दिनों में अपने सीने में पूरी दुनिआ से आये लोगों को जहाँ समेत कर रखा वही कुम्भ की प्राचीन परम्पराओं से लोगो को अभिभूत भी किया। अगर भगदड़ मई मरे लोगों की घटना को अलग कर दिया जाये तो महाकुम्भ शानदार ढंग से संपन्न हुआ। गंगा, जमुना और सरस्वती के पावन संगम में डुबकी लगाने के लिए दुनिआ भर के अमीर घरानो के लोग आये और महाकुम्भ की रौनक को बढ़ाने में सफल हुए ।

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लिए महाकुम्भ प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ था क्योंकि विपक्ष और कथित यू ट्यूबर नेगेटिव ख़बरें फ़ैलाने में लगे हुए थे। इस बार का महाकुंभ कई मायनों में खास रहा। 144 साल बाद ऐसा अद्भुत संयोग आया था कि हर शख्स संगम में पवित्र डुबकी लगा लेने को लेकर उत्साहित था।

प्रयागराज तक पहुंचने के लिए लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन संगम में डुबकी लगाने के बाद सबके चेहरे पर एक अलग तरह का संतोष भी दिखा। हर  रोज औसतन डेढ़ करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। 30 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु ट्रेन से महाकुंभ पहुंचे। इसके साथ-साथ 73 देशों के प्रतिनिधि और पचास लाख विदेशी भी डुबकी लगाने आये ।

विशालता में कोई मुकाबला नहीं 

महाकुम्भ क्षेत्र 4 हजार हेक्टेयर में था।  महाकुंभ मेला क्षेत्र में रिकॉर्ड 25 सेक्टर बनाए गए थे। 13 किलोमीटर के दायरे में 42 घाट बनाए गए। 42 घाटों में दस पक्के घाट भी थे। गंगा-यमुना को पार करने के लिए 30 पांटून पुल भी तैयार किए गए थे। मेले क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए 56 थाने और 144 चौकियां बनाई गईं 2 साइबर थाने अलग से बनाए गए और मेला क्षेत्र में 50 हजार सुरक्षाकर्मी को तैनात किया गया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुम्भ के सफल आयोजन के लिए प्रयागवासिओं का आभार व्यक्त किया है।  

विवादों में भी रहा 

महाकुंभ मेला कई विवादों को लेकर भी चर्चा में रहा। जैसे फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर बनना और उनको लेकर विवाद खड़ा होना। इसके अलावा, गंगा जल की शुद्धता को लेकर राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (NPCB) की रिपोर्ट और फिर उस पर सरकार के हवाले से कई वैज्ञानिकों द्वारा गंगा जल की शुद्धता की पुष्टि करना भी चर्चा में रहा।

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