– आज गोधरा कांड को हुए 22 साल पूरे
– बिना विधायक बने ही गुजरात के मुख्यमंत्री बन गए थे नरेंद्र मोदी
– संघ और भाजपा संगठन का विश्वास आज तक है कायम
अनुज मित्तल (समाचार संपादक)
मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में तो पहचान रखते थे, लेकिन देश और दुनिया उनके नाम से अंजान थी। अचानक कुछ ऐसा हुआ कि वह देश ही नहीं बल्कि दुनिया की नजर में आ गए। दुनिया की नजर में वह पहले खलनायक बनकर आए तो बाद में पूरे विश्व ने उन्हें नायक मान लिया।
नरेंद्र मोदी संघ के समर्पित स्वयं सेवक के रूप में अपने काम को अंजाम दे रहे थे। इस दौरान उनकी नेतृत्व और संगठनात्मक क्षमता को देख संघ परिवार ने उन्हें भाजपा संगठन का काम करने के लिए भेज दिया। वर्ष 2001 में गुजरात में विनाशकारी भूकंप आया और नरेंद्र मोदी वहां पीड़ितों की सहायता के लिए पहुंच गए। इस दौरान भाजपा संगठन ने उन्हें गुजरात की जिम्मेदारी दी हुई थी। हालात ऐसे थे कि भाजपा की सरकार होने के बावजूद राजनीतिक रूप से मामला बिगड़ता जा रहा था।
जिसके चलते तीन अक्तूबर 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री केशु भाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। भाजपा संगठन ने उनकी जगह नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बना दिया, हालांकि तब तक वह विधायक भी नहीं बने थे। फरवरी में हुए उपचुनाव में वह विधायक निर्वाचित हुए और विधिवत रूप से 24 फरवरी को मुख्यमंत्री के रूप में विधानसभा में विराजमान हुए।
गोधरा कांड से आए मोदी चर्चा में
गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में बैठे तीर्थयात्रियों पर हुए हमले की घटना के बाद गुजरात में सांप्रदायिक दंगा हो गया था। जिसमें मोदी ने जो कठोर निर्णय लेते हुए कार्रवाई की, वह पूरे देश ही नहीं बल्कि विश्व की नजरों में आ गई।
इसके बाद नरेंद्र मोदी हिंदु संगठनों और हिंदुत्व विचाराधारा से जुड़े लोगों के नायक बन गए, लेकिन विपक्ष और विश्व के अन्य देशों की नजरों में वह खलनायक बन गए। लेकिन मोदी ने इसकी परवाह नहीं की और आगे बढ़ते रहे।
दिसंबर में फिर बने मुख्यमंत्री
दिसंबर 2002 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए। जिसमें भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ जीतकर आई और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी। इसके बाद देश में उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा और संघ ने मिलकर प्रधानमंत्री के रूप में मोदी का चेहरा सामने कर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया। वह मई 2014 में अप्रत्याशित रूप से पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनवाने में न केवल कामयाब हुए, बल्कि कांग्रेस जैसी देश की सबसे बड़ी पार्टी को एक तरफा शिकस्त देने का अभियान भी शुरू कर दिया। तब से अब तक उनका कारंवा लगातार बढ़ता जा रहा है।
वैश्विक जगत ने भी माना लोहा और बदली सोच