spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Wednesday, December 24, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img
Homeउत्तर प्रदेशMeerutभारत में जेनरेशन ज़ेड (जेन जी) : उम्मीदों और चुनौतियों की पीढ़ी

भारत में जेनरेशन ज़ेड (जेन जी) : उम्मीदों और चुनौतियों की पीढ़ी

-

भारत में जेनरेशन ज़ेड (जेन जी) : उम्मीदों और चुनौतियों की पीढ़ी।

आदेश प्रधान एडवोके
– एडवोकेट आदेश प्रधान.

एडवोकेट आदेश प्रधान | हर दौर की एक पहचान होती है। स्वतंत्रता संग्राम के समय की पीढ़ी त्याग और बलिदान के लिए जानी गई। स्वतंत्रता के बाद की पीढ़ी ने देश के निर्माण और पुनर्निर्माण में अपनी भूमिका निभाई। उदारीकरण के बाद की मिलेनियल पीढ़ी ने बाजारवाद और नई अर्थव्यवस्था को अपनाया। लेकिन आज जिस पीढ़ी की चर्चा सबसे अधिक होती है, वह है जेनरेशन ज़ेड या जेन जी। यह पीढ़ी लगभग 1997 से 2012 के बीच जन्मी मानी जाती है और वर्तमान में भारत जैसे युवा देश में इसकी आबादी सबसे तेजी से प्रभाव डाल रही है। भारत में कुल जनसंख्या का बड़ा हिस्सा जेनरेशन ज़ेड है और यही कारण है कि यह वर्ग समाज, राजनीति, शिक्षा, रोजगार और संस्कृति के हर क्षेत्र में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

 

 

यह पीढ़ी पूरी तरह डिजिटल युग में पैदा हुई है। मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया इसके लिए कोई नई खोज नहीं बल्कि जन्म से ही जीवन का हिस्सा रहे हैं। यही वजह है कि जेनरेशन ज़ेड को “डिजिटल नेटिव” भी कहा जाता है। इस पीढ़ी के लिए सूचना प्राप्त करना, अपनी राय व्यक्त करना या किसी अभियान में शामिल होना बटन क्लिक करने जितना आसान है। आज एक सामान्य जेन ज़ेड किशोर या युवा अपने दिन का बड़ा हिस्सा मोबाइल स्क्रीन पर बिताता है। मनोरंजन, शिक्षा, समाचार और सामाजिक संवाद—सब कुछ डिजिटल माध्यम से ही होता है। रील्स, मीम्स और छोटे वीडियो इस पीढ़ी की खास पहचान बन गए हैं। लिखित सामग्री या लंबे लेख की तुलना में छोटा और आकर्षक दृश्य कंटेंट इन्हें ज्यादा आकर्षित करता है। यही कारण है कि संचार का पूरा ढांचा भी इनके अनुरूप बदलता जा रहा है।

तकनीकी क्षमता इस पीढ़ी की सबसे बड़ी ताकत है। डिजिटल पेमेंट, ऑनलाइन शॉपिंग, ई-लर्निंग और वर्चुअल प्लेटफॉर्म का सबसे अधिक उपयोग यही करते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन और मेटावर्स जैसी नई तकनीकों को लेकर सबसे ज्यादा उत्सुकता इन्हीं में देखी जाती है। नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने में भी जेनरेशन ज़ेड की भूमिका अहम है। यह पीढ़ी पारंपरिक नौकरी के बजाय खुद का स्टार्टअप शुरू करने की ओर अधिक आकर्षित होती है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम इसी पीढ़ी की सोच और ऊर्जा से आज दुनिया में अपनी पहचान बना रहा है।
लेकिन जेनरेशन ज़ेड केवल तकनीकी कौशल तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी जागरूक है। भ्रष्टाचार विरोध, लैंगिक समानता, पर्यावरण संरक्षण और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर यह पीढ़ी लगातार अपनी आवाज़ बुलंद करती रही है। नेपाल आंदोलन सहित भारत में हुए कई विरोध प्रदर्शनों में जेन ज़ेड की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। सोशल मीडिया पर चलने वाले अभियानों में सबसे ज्यादा उपस्थिति इसी वर्ग की होती है। यह संदेश स्पष्ट है कि यह युवा पीढ़ी केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं है बल्कि समाज और देश की भलाई के लिए भी जिम्मेदारी महसूस करती है।

शिक्षा के क्षेत्र में जेनरेशन ज़ेड ने नई परिभाषा गढ़ी है। इनके लिए शिक्षा केवल डिग्री प्राप्त करने का साधन नहीं है बल्कि यह कौशल और नवाचार पर अधिक ध्यान देती है। ऑनलाइन कोर्स, डिजिटल क्लासरूम और वर्चुअल लर्निंग को सबसे अधिक अपनाने वाले यही युवा हैं। कोडिंग, ग्राफिक डिजाइनिंग, वीडियो एडिटिंग और डिजिटल मार्केटिंग जैसे नए कौशलों की ओर इनका झुकाव ज्यादा है। यही कारण है कि “जॉब क्रिएटर” बनने की मानसिकता इस पीढ़ी में अन्य पीढ़ियों की तुलना में कहीं अधिक दिखाई देती है।

हालाँकि, शिक्षा और कौशल के बावजूद रोजगार की चुनौती इस पीढ़ी को सबसे अधिक प्रभावित करती है। भारत में हर साल लाखों युवा नौकरी के बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, लेकिन अवसरों की कमी और प्रतिस्पर्धा का दबाव इन्हें असुरक्षित बना देता है। सरकारी नौकरियों में सीमित अवसर और निजी क्षेत्र की अस्थिरता आत्मविश्वास पर नकारात्मक असर डालती है। कई बार यह दबाव इतना अधिक हो जाता है कि युवा आत्महत्या जैसी चरम घटनाओं तक पहुँच जाते हैं। तत्काल संतुष्टि की आदत के कारण लंबी अवधि की योजना बनाने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है।

डिजिटल जीवन का एक बड़ा असर मानसिक स्वास्थ्य पर भी दिखाई देता है। सोशल मीडिया पर लाइक्स और फॉलोअर्स की होड़ युवाओं को अंदर ही अंदर असुरक्षित और अकेला बना देती है। तुलना की भावना और लगातार उपलब्धि हासिल करने का दबाव इन्हें तनावग्रस्त करता है। वास्तविक जीवन में संवाद क्षमता कमजोर होने से रिश्तों में दूरी बढ़ रही है। कई बार यह पीढ़ी आभासी दुनिया में बहुत सक्रिय दिखाई देती है लेकिन आमने-सामने संवाद करने में झिझकती है।
फेक न्यूज और गलत जानकारी का असर भी इसी पीढ़ी पर सबसे ज्यादा पड़ता है। सोशल मीडिया पर फैलने वाली झूठी खबरें इनके निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती हैं। यह पीढ़ी तेज़ी से प्रतिक्रिया करती है लेकिन कभी-कभी बिना सत्यापन के। यही वजह है कि कई बार यह ग़लत दिशा में भटक जाती है।

राजनीति के क्षेत्र में भी जेनरेशन ज़ेड की उपस्थिति महसूस की जा रही है। यह पीढ़ी पारंपरिक राजनीति से संतुष्ट नहीं है। यह पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता की मांग करती है। छात्र आंदोलनों से लेकर ऑनलाइन अभियानों तक, जेन ज़ेड ने लोकतंत्र को नई दिशा दी है। सोशल मीडिया पर ट्रेंड चलाकर राजनीतिक दलों और नेताओं को जवाबदेह बनाने का काम यही कर रही है। यह वर्ग यह मानता है कि राजनीति केवल सत्ता तक सीमित न रहे बल्कि समाज के वास्तविक मुद्दों का समाधान दे।

भारत जैसे युवा देश में जेनरेशन ज़ेड की भूमिका निर्णायक है। यह पीढ़ी वैश्विक स्तर पर भारत को नेतृत्व दिलाने में सक्षम है। स्टार्टअप्स, आईटी उद्योग और डिजिटल नवाचारों में इसकी भागीदारी ने भारत को विकासशील से डिजिटल लीडर बनने की दिशा में बढ़ाया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक न्याय की बहस में भारतीय युवाओं की आवाज़ बुलंद हो रही है। यदि यह पीढ़ी अपनी ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग करे और धैर्य, निरंतरता तथा मानसिक संतुलन बनाए रखे तो निश्चित रूप से भारत को वैश्विक नेतृत्व दिलाने में मदद कर सकती है।
इस पीढ़ी की सबसे बड़ी ताकत इसका नवाचार और साहस है, लेकिन सबसे बड़ी कमजोरी है धैर्य और निरंतरता की कमी। अगर यह वर्ग डिजिटल उपयोग और वास्तविक जीवन के बीच संतुलन बना सके, शिक्षा और रोजगार में धैर्यपूर्वक आगे बढ़े और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दे, तो न केवल व्यक्तिगत सफलता पाएगा बल्कि देश को भी सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में आगे बढ़ाएगा।

भारत की जेनरेशन ज़ेड एक ऐसी ताकत है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। यह डिजिटल युग की संतान है, जो रील्स और मीम्स के जरिए भी गंभीर संदेश दे सकती है और ज़रूरत पड़ने पर सड़क पर उतरकर भी बदलाव की मांग कर सकती है। इसके सामने चुनौतियाँ हैं—धैर्य की कमी, मानसिक स्वास्थ्य का दबाव और रोजगार का संकट—लेकिन इसके पास अवसर भी हैं—नवाचार, तकनीकी क्षमता और सामाजिक सक्रियता। यदि यह पीढ़ी संतुलित ढंग से अपनी ऊर्जा का उपयोग करे तो यह न केवल भारत को बल्कि पूरे विश्व को नई दिशा देने में सक्षम है। आने वाले दशकों में राजनीति, समाज, शिक्षा और अर्थव्यवस्था का चेहरा यही पीढ़ी बदलेगी और यही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है।

 

नोट: संपादकीय पेज पर प्रकाशित किसी भी लेख से संपादक का सहमत होना आवश्यक नही है ये लेखक के अपने विचार है।

Related articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

4,000,000FansLike
100,000SubscribersSubscribe

Latest posts