Monday, June 16, 2025
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चालीस साल बाद दुष्कर्मी को मिली सजा, सुप्रीम कोर्ट ने न्याय में देरी के लिए जताया दुख

  • हाईकोर्ट ने बरी किया था, सुप्रीम कोर्ट ने जताया दुख।

एजेंसी, जयपुर। एक लड़की के साथ उस समय रेप हुआ जब वह नाबालिग थी और जिस शख्स ने इस घटना को अंजाम दिया, उस समय उसकी उम्र 21 साल थी। अब 40 साल बाद इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है।

सुप्रीम कोर्ट ने न्याय में देरी के लिए दुख जताया। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने कहा कि हमें दुख है कि फैसले आने में चार दशक लगे।

शीर्ष अदालत ने राजस्थान हाईकोर्ट के जुलाई 2013 के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें उसने आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया था।

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि इस नाबालिग लड़की और उसके परिवार को अपने जीवन के इस भयावह अध्याय के बंद होने के इंतजार में लगभग चार दशक गुजारने पड़ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले को पलटते हुए दोषी को निचली अदालत द्वारा दी गई सात साल की सजा को बहाल कर दिया। इसके साथ ही दोषी को चार हफ्ते में सरेंडर करने का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बच्ची की चुप्पी का मतलब ये नहीं लगाया जा सकता कि उसके साथ अपराध हुआ ही नहीं।

यह मामला 1986 का है, जब इस नाबालिग के साथ रेप हुआ था। गुलाब चंद नामक एक शख्स ने लड़की को बेहोश पाया और उसके प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। ट्रायल कोर्ट ने 1987 में आरोपी को सात साल की सजा सुनाई थी। साल 2013 में राजस्थान हाई कोर्ट ने आरोपी को बरी करने का फैसला सुनाया था। इसके बाद पीड़िता के परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

 

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