Thursday, June 19, 2025
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भारत में महिलाओं में घट रही प्रजनन दर !

  • 1950 में प्रजनन दर 6.2 थी जबकि अब दो से कम।

एजेंसी, नई दिल्ली। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया कि भारत में महिलाओं के बीच प्रजनन दर घट रही है। मौजूदा समय में भारत में प्रति महिला प्रजनन दर 2 से नीचे आ चुकी है। जबकि 1950 में यह दर 6.2 था। 1950 में जहां एक महिला औसतन 6 बच्चे जन्म देती थी वहीं वर्तमान में एक महिला औसतन दो बच्चे ही जन्म देती है।

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार अगर यही रुझान जारी रहा, तो साल 2050 तक यह आंकड़ा और गिरकर 1.3 तक पहुंच सकता है। प्रजनन दर वह दर है, जो यह दशार्ती है कि एक महिला अपने प्रजनन काल (15-49 वर्ष) में औसतन कितने बच्चे पैदा करती है।

भारत में शहरीकरण के साथ, ही महिलाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां शहरी जीवन शैली और विकास ज्यादा है। शहरी महिलाएं आमतौर पर परिवार नियोजन को महत्व देती हैं और कम बच्चों की चाहत रखती हैं, क्योंकि वे अपने करियर और व्यक्तिगत जीवन को प्राथमिकता देती हैं। देर से शादी होना भी प्रजनन दर में गिरावट का एक प्रमुख कारण है।

 

अपने करियर में सफलता हासिल करने के बाद शादी करती हैं, जिससे उनके प्रजनन वर्षों में कमी आती है और बच्चे पैदा करने का समय कम हो जाता है। महिलाओं का शिक्षा और सशक्तिकरण भी प्रजनन दर में गिरावट के प्रमुख कारणों में से एक है। जब महिलाएं आत्मनिर्भर होती हैं और अपनी शिक्षा और करियर पर ध्यान केंद्रित करती हैं, तो वे कम बच्चों की चाहत रखती हैं। वे परिवार नियोजन के विकल्पों के बारे में जागरूक हो जाती हैं और छोटे परिवार को पसंद करती हैं।

आर्थिक दबाव भी प्रजनन दर में गिरावट का एक कारण है. दरअसर बढ़ती महंगाई के कारण बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और जीवन की अन्य आवश्यकताओं को पूरा करना परिवारों के लिए कठिन हो गया हपिछल कुछ सालों में भारत में जनसंख्या की संरचना में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है, और यह बदलाव विशेष रूप से आयु वर्गों के हिसाब से देखा जा सकता है. साल 2021 में भारत में बच्चों की संख्या करीब 36.4 करोड़ थी, जो 2024 तक घटकर 34 करोड़ हो गई है।

यह आंकड़ा इस बात का संकेत देता है कि अब देश में बच्चों की संख्या में कमी आ रही है, और आने वाले दशकों में यह आंकड़ा और भी घट सकता है। इसके उलट, 60 साल और उससे अधिक उम्र के बुजुर्गों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। साल 1991 में जहां इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या मात्र 6.1 करोड़ थी, वहीं 2024 तक यह संख्या बढ़कर करीब 15 करोड़ हो गई है। इस बदलाव को देखा जाए तो साफ है कि भारत की जनसंख्या में एक बड़ा पारिवारिक बदलाव हो रहा है। पहले की तुलना में अब युवाओं की संख्या घटने लगी है, और बुजुर्गों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।

 

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