कोरोना काल में स्कूल छोड़ चुके छात्रों को वापस मिलेगी 15 प्रतिशत फीस।
कोर्ट ने दी अभिभावकों को बड़ी राहत।
प्रेमशंकर, संवाददाता |
शारदा न्यूज, मेरठ। देश की सर्वोच्च अदालत ने पूरे प्रदेश के उन अभिभावकों को बड़ी राहत दी है जिनके बच्चे कोरोना काल में स्कूल नहीं गए थे। कोर्ट ने निजी स्कूलों को आदेश दिया है कि वह इन सभी बच्चों के अभिभावकों को कोरोना काल में वसूली गई फीस में से 15 प्रतिशत वापस करेंगे।
पूरे प्रदेश के अभिभावकों को न्याय दिलाने के लिए गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन लगातातर संघर्ष कर रही थी जिसका नतीजा बीते मंगलवार को सामने आया। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के सभी अभिभावकों को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उच्च न्यायालय के उस आदेश पर सुनवाई करते आदेश दिये जिसमें प्रदेश के सभी निजी स्कूलों को कोरोना काल के वर्ष 2020-21 में 15 प्रतिशत फीस के समायोजन व वापसी के आदेश दिये गए थे। इस मामले में पूर्व में 4 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय इलाहबाद के 15 प्रतिशत फीस वापसी के आदेश 2020-21 में स्कूल छोड़ चुके विद्यार्थियों की 15 फीसदी फीस वापसी के पार्ट को स्टे कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने केवल उन्हीं तीन स्कूलों को स्टे दिया है जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पिछले 4 साल की बैलेंस शीट दाखिल कर दी है।
– याचिका पर जजों की दलील
अभिभावक संघ की ओर से अधिवक्ता शाश्वत आनंद, राजेश इमानदार, तल्हा अब्दुल रहमान मौजूद रहे। वहीं इंडिया स्कूल फेडरेशन की ओर से अधिवक्ता रोहित अमित स्थालेकर व वरिष्ठ अधिवक्ता कविन गुलाठी मौजूद रहे। इंडियन स्कूल फेडरेशन की तरफ से दाखिल हुई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस एसवी एन भट्टी ने कहा कि केवल तीन स्कूलों ने ही शपथपत्र दाखिल किया है। इस वजह से स्टे भी केवल उन्ही तीनों स्कूलों को मिलेगा। इसके साथ ही यह तीनों स्कूल अपनी पूरी बैलेंस शीट भी छह सप्ताह में दाखिल करें। अन्य याचिकाकर्ताओं को भी आदेश दिया है कि वह भी चार सप्ताह में अपना चार साल का विवरण कोर्ट में दाखिल करें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व में जो आदेश दिए है जिनमें एफिडेविट के माध्यम से स्कूलों से यह भी मांग की है कि स्कूलों ने कितनी सैलरी टीचर-स्टाफ को वर्ष 2020-21 में दी है, और क्या उनकी सैलरी में कोई कटौती की गई है।कोर्ट ने शपथपत्र के साथ यह भी मांग की है स्कूलों ने वर्ष 2020-21 में प्रतिदिन के खर्च में कितनी कमी आई थी।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्षा सीमा त्यागी ने कहा कि पहले उच्च न्यायालय इलाहबाद ने अभिभावकों के हक़ में फैसला दिया और अब सर्वोच्च न्यायालय से भी यही आशा है। कोर्ट ने स्कूलों से कथित नुकसान की गहन जानकारी के लिए 4 साल की बैलेंस शीट दाखिल करने को कहा है। साथ ही वर्ष 2020-21 में स्कूल छोड़ चुके विद्यार्थियों के अभिभावकों को 15 प्रतिशत फीस वापसी पर लगे स्टे को हटाकर इस ओर इशारा किया है कि सुप्रीम कोर्ट का पूर्ण आदेश भी अभिभावकों के ही पक्ष में आएगा। निजी स्कूलों को कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए पेरेंट्स को 15 प्रतिशत फीस वापस करनी चाहिए और प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह अपने अधिकारियों से निजी स्कूलों से कोरोना काल की 15 प्रतिशत फीस वापस कराये।