मुआवजे को लेकर 67 दिन से बैठे हैं धरने पर, सुरक्षाकर्मियों से हुई नोकझोंक
शारदा रिपोर्टर मेरठ। जमीन के बड़े प्रतिकार और मुआवजे की मांग को लेकर पिछले 67 दिन से वेदव्यासपुरी में धरना दे रहे, किसानों का सोमवार सब्र जवाब दे गया। नाराज किसान मेरठ विकास प्राधिकरण पहुंचे और वहां धरना देकर मुख्य दरवाजे पर ताला डाल दिया। किसानों ने रास्ता बंद करने के लिए मुख्य दरवाजे पर ट्रैक्टर ट्राली लगा दी, जिस कारण लोगों से उनकी काफी नोकझोंक भी हुई।
किसानों का यह आंदोलन वर्ष 2015 में हुए वेदव्यासपुरी योजना के एक समझौते से जुड़ा है, जिसमें अफसर ने तय किया था कि छोटी किसानों को बढ़े प्रतिकर का चेक और बड़े किसानों को प्लाट दिया जाएगा। मेरठ विकास प्राधिकरण की तरफ से चेक वितरण भी हो गए लेकिन कोरोना काल का हवाला देकर उनका पेमेंट रोक दिया गया। कोरोना काल के बाद से किसान लगातार अपने बढ़े प्रतिकर और मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन चल रहा है।
वेदव्यासपुरी के यह किसान पिछले 67 दिन से मेरठ मंडपम स्थल पर धरना देकर बैठे हैं। कुछ दिन पहले मेड के अफसर और ऊर्जा राज्य मंत्री डॉ सोमेंद्र तोमर किसानों के बीच पहुंचे थे और एक सप्ताह के भीतर उनकी समस्या के समाधान का भरोसा दिलाया था। आप है कि उसे आश्वासन को भी काफी दिन बीत चुके हैं लेकिन मेडा के किसी भी अफसर ने सुध नहीं ली। किसानों ने घोषणा की और आज मेडा दफ्तर पहुंच कर वहां मुख्य दरवाजे पर ताला डाल दिया।
मेडा के परिसर में धरना देकर बैठे किसानों ने काफी देर नारेबाजी की लेकिन जब मेडा की तरफ से संज्ञान नहीं लिया गया तो तो किसानों ने मुख्य दरवाजा बंद कर उसके सामने ट्रैक्टर ट्राली अड़ा दी। इसके बाद मेड अपने कामों से आए लोगों ने दरवाजा खुलवाने की कोशिश की तो किसानों से उनकी नोकझोंक हो गई। किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि वह समस्या का समाधान जब तक नहीं हो जाता तब तक गेट नहीं खुलने देंगे। 35 साल से यह मुआवजा रुका हुआ है।