– लिपिक ने फर्जी हस्ताक्षर से किया घोटाला, बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
हापुड़। गन्ना समिति में पांच करोड़ रुपए के गबन का मामला सामने आया है। लिपिक भरत कश्यप पर बिल वाउचरों पर फर्जी हस्ताक्षर कर यह गबन का आरोप है।
मामले में समिति के सचिव, बैंक अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। कल समिति डीएम को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
गन्ना समिति के चेयरमैन कुणाल चौधरी और जिला गन्ना अधिकारी सना आफरीन खान ने जिलाधिकारी से मुलाकात की। जांच में पता चला कि लिपिक ने खातों में हेरफेर कर पैसा अपने रिश्तेदारों के खातों में भेजा।
जिलाधिकारी अभिषेक पांडेय ने गबन की राशि की वसूली के लिए आरसी जारी करने के आदेश दिए हैं। साथ ही जिन खातों में पैसा ट्रांसफर हुआ, उन पर कानूनी कार्रवाई होगी। गन्ना समिति के सचिव और एससीडीआई पर विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
यह गबन वर्ष 2020 के बाद का है। तब से समिति का चुनाव नहीं हुआ था और यह अधिकारियों की निगरानी में थी। समिति के सचिव ने इस मामले में केवल लिपिक की गुमशुदगी दर्ज कराई थी। चार सदस्यीय जांच कमेटी मंगलवार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इसके बाद गन्ना विभाग आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएगा। बैंक अधिकारियों की भूमिका भी जांच का विषय है, क्योंकि फर्जी हस्ताक्षर वाले बिल वाउचरों से समिति के बचत खाते से पैसे निकाले गए।
गन्ना समिति के बचत खाते की बैलेंस सीट में करीब पांच करोड़ रुपए प्रदर्शित हो रहे थे। चीनी मिल से तीन करोड़ रुपए मिलने के बावजूद बैंक ने पैसा शॉर्ट बता दिया। इस पर समिति कर्मचारियों ने बैंक जाकर जानकारी की तो करीब तीन लाख रुपए शॉर्ट होने का पता चला।
वाउचर देखे तो उस पर फर्जी हस्ताक्षर मिले और विभिन्न खातों में पैसे भेजे जाने के साक्ष्य भी मिले। फर्जी हस्ताक्षर से बने वाउचर का रिकॉर्ड समिति कार्यालय के डिस्पैच रजिस्टर में भी नहीं था।
दरअसल, बिल वाउचर पर समिति के सचिव मनोज कुमार और एससीडीआई शेष नारायण दीक्षित के हस्ताक्षर होते हैं। लिपिक ने इन दोनों ही अधिकारियों के हस्ताक्षर फर्जी तरीके से कर, पैसों का हेरफेर कर दिया। बैंक कर्मचारियों ने भी इन हस्ताक्षरों को ऐसे ही पास कर दिया।
घोटाले की सुगबुगाहट होती देख 25 अप्रैल से ही लिपिक ने कार्यालय आना बंद कर दिया। उसका फोन भी बंद हैं। लिपिक की गुमशुदगी देहात थाने में दर्ज कराई है।