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एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी का पढ़िए अगला सीन

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तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी
तत्काल: एक पुरानी रेलवे आरक्षण प्रणाली पर आधारित कहानी---

कहानी का पढ़िए अगला सीन-

अरुण खरे ( कानपुर )

सीन ( अगला )

सुबह के चार बजने वाले हैं। अन्धेरी टर्मिनल के रिजर्वेशन हाल के अन्दर पब्लिक का आना जारी है। हाल के अन्दर आठ विन्डोज हैं। हर विन्डो पर सीरियल से विन्डो नम्बर लिखा है।

 

विन्डो पर लगे शीशे पर कार्य समय 8 से 15 और 15.15 से 20 बजे लिखा है। पब्लिक आ – आकर क्लोज विन्डो के सामने खड़ी हो रही है। यानी जिसको जो भी विन्डो खड़े होने के लिए समझ में आती है, वो आकर उस क्लोज विन्डो के सामने आकर खड़ा हो जाता है। इसी बीच अजय जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए रिजर्वेशन हाल के अन्दर दाखिल होता है और एक नम्बर विन्डो पर आकर पच्चीस आदमियों के पीछे लाइन में खड़ा हो जाता है। इस तरह आठो विन्डो की लाइन धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और सवेरे पांच बजे तक हाल के अन्दर ढाई तीन सौ आदमी औरतों की लाइन लग जाती है। हर एक विन्डो की लाइन में लगे लोग अपनी अपनी जगह साधे खड़े होते हैं। किसी को अगर थुकास या मुतास लगी तो वह अपने आगे या पीछे खड़े आदमी को बताकर जाने में ही अपनी भलाई समझता है। सुबह का पांच बजा है। लाइन में लगे ज्यादातर लोग औंघाते नजर आ रहे हैं। क्योंकि वो सारी रात अच्छी तरह सो नहीं पाए हैं। इसलिये औंघाते हुए लाइन में खड़े होकर अपनी नींद पूरी कर रहे हैं।

सीन ( अगला )

एक बहुत मोटा आदमी अपनी बड़ी सी तोंद लिए रिजर्वेशन हाल
के अन्दर प्रवेश करता है। इस मोटे आदमी ने लाइन में खड़े होने के लिए पहले से अपने लड़के को लाइन में खड़े होने के लिए भेज रखा है।

 

इनका लड़का किसी एक विन्डो की लाइन में खड़ा है। मोटा आदमी एक नम्बर विन्डो की लाइन में पीछे से अपने लड़के को देखते हुए आगे तक आता है। मगर इस लाइन में उसको अपना लड़का नहीं दिखाई पड़ता है। इसलिए दूसरे नम्बर की विन्डो लाइन चेक करने के लिए एक नम्बर विन्डो की लाइन को आगे से तोड़कर मोटा आदमी दूसरे नम्बर की विन्डो लाइन में आना चाहता है। मगर एक नम्बर विन्डो लाइन में खड़े लोग और सटकर खड़े हो जाते हैं जिससे कि मोटा आदमी लाइन तोड़कर न जाने पाए। फिर भी मोटा आदमी लाइन तोड़ने की कोशिश करता है तो लाइन में लगे दो आदमी उस मोटे आदमी को धक्का देकर कहते हैं ……..

 

दोनों आदमियों में से एक आदमी : अरे ये हाथी पहलवान । इधर लाइन के बीच से कहां निकल रहे हो?

 

मोटा आदमी : निकल कहां रहे हैं अपने लड़के को देख रहे हैं। यहीं कहीं लाइन में खड़ा होगा।

 

दोनों आदमियों में से दूसरा आदमी : अरे पहलवान लड़का देखना है तो पीछे से जाकर आगे तक चेक करो फिर पीछे जाकर अगली लाइन को आगे तक चेक करो फिर पीछे से जाकर अगली लाइन चेक करो। और तुम हो कि वाईपास समझकर यहां से लाइन तोड़कर निकलना चाह रहे हो।

 

दोनों आदमियों में से पहला आदमी : पहलवान भाई वाईपास करने की कोशिश भी न करना। नहीं तो लाइन में भूकंप आ जाएगा।

 

           पहले वाले आदमी की बात पर अगल बगल वाली लाइन में खड़े लोग हंसते हैं।

 

मोटा आदमी : (गुस्से में) यार तुम लोगों ने मुझे क्या चूतिया समझ रखा है, जो बाईपास न करें। (पीछे की ओर हाथ बढ़ाकर बताते हुए) उधर क्या दस मील का चक्कर लगाकर फिर इधर बगल वाली लाइन में आएं। यार तुम लोग मुझे बेबकूफ बनाने की कोशिश कर रहे हो। ऐसे तो हम टिकट ही न लें, और दस दस मील की परिक्रमा करते हुए दिल्ली पहुंच जाएं।

 

अजय : (पीछे से हंसते हुए जोर से) सही कहते हो पहलवान। ऐसे ही पैदल परिक्रमा करते करते ट्राई करो। पैसा भी नहीं लगेगा और पहुँच जाओगे दिल्ली।

 

मोटा आदमी : (अजय की ओर देखकर ) अरे ओ अक्ल से पैदल, तुझे मालूम है.. ये ढाई कुन्तल का वजन लिए एक लाइन चेक करने में थक गया हूँ। तो फिर दिल्ली जाने पर थक गया, तो क्या तेरा बाप उठाकर मुझे दिल्ली पहुंचाएगा।

 

अजय : (हंसते हुए) अरे पहलवान मेरा बाप तो तुझसे एक चौथाई भी नहीं होगा। तुझे उठाने के लिए क्रेन भिजवा देगें।

 

       (मोटा आदमी गुस्से में आगबबूला होकर लाइन को ताकत के साथ तोड़ता हुआ दो नम्बर विन्डो की लाइन में जाकर गिर जाता है। एक नम्बर विन्डो वाली लाइन तोड़ने से एक नम्बर लाइन में भूकंप सा आ जाता है, और लाइन में लगे लोग तितर बितर होकर अगल बगल गिरते पड़ते हैं। इस भूकंप का असर दो नम्बर विन्डो पर भी पड़ता है। क्योंकि मोटा आदमी दो नम्बर की विन्डो की लाइन में जाकर गिरता है। और साथ में अपने नीचे दो लोगों को दबाकर घायल कर देता है भूकम्प का असर पूरी दो नम्बर विन्डो पर देखने को मिलता है। एक नम्बर की विन्डो लाइन में खड़ा अजय और दो नम्बर की लाइन में अजय के बराबरी से खड़ी लड़की रूपा दोनों लाइनों में भूकंप का झटका आने से लड़खड़ाकर दोनों एक-दूसरे के ऊपर गिरते हुए एक-दूसरे की बाहों में आ जाते हैं। एक-दूसरे की बाहों में रहते हुए कुछ पल के लिए अजय और रूपा में नैन मटक्का होता है। लाइन में आदमी अपनी अपनी जगह संभलकर खड़े होते हुए अजय और रूपा का नैन मटक्का देख हंसते हैं। एक नम्बर विन्डो की लाइन में खड़ा एक लड़का अजय और रूपा के चेहरों के बीच से होती हुई अपनी हाथ की हथेली फेरता है। हाथ की हथेली दोनों की आंखों के बीच पड़ते ही दोनों सकपकाकर मुस्कराते हुए अपनी अपनी लाइन में खड़े हो जाते हैं।

(मोटे आदमी के नीचे दबे हुए दो आदमी)

दोनों आदमी : (जोर से चिल्लाते हुए बारी बारी से कहते हैं) अरे बचाओ कोई, मार डाला इस मोटे ने। (दोनों आदमी मोटे के नीचे से अपने आपको निकालने की कोशिश करते हुए) अरे भाई मेरे ऊपर पहाड़ गिर पड़ा है। चार पांच आदमी मिलकर इस पहाड़ को हटाओ या क्रेन मंगवाओ नहीं तो हम मर जाएंगे।

चार पांच आदमी लाइन से निकलकर मोटे आदमी को हटाने की
कोशिश करते हैं। लेकिन मोटा आदमी फ्री स्टाइल में दोनों आदमियों के ऊपर गिरा हुआ टस से मस नहीं होता। फिर दो तीन लोग और आकर मोटे के हाथ पैर पकड़कर दोनों लाइनों के बीच मोटे को लाकर खड़ा करते हैं। दबे हुए दोनों आदमी उठकर अपने आप को ऊपर से नीचे तक झाड़ते हुए अपनी लाइन में खड़े हो जाते हैं। मोटा आदमी भी हांफते हुए दोनों लाइनों के बीच खड़ा रहता है। इसी बीच मोटे आदमी का लड़का आ जाता है और मोटे आदमी का हाथ पकड़कर फिर से दो नम्बर विन्डो की लाइन तोड़ने के लिए बढ़ता है। लाइन में मोटे आदमी को रास्ता देने के लिए पांच छह लोग अपने आप लाइन से किनारे हटकर हंसते हुए मोटे आदमी व उसके लड़के को रास्ता देते हैं।

 

आगे की कहानी का अगला सीन  पढ़िए-

https://shardaexpress.com/tatkaal/ek-puraanee-relave-aarakshan-pranaalee-par-aadhaarit-kahaanee-ka-bhaag-3-padhie-aage-kya-hua/

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