शारदा न्यूज़, मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में आयोजित व्याससमारोह का आज सातवें दिन समापन समारोह का आयोजन हुआ। समापन उत्सव में व्याससमारोह में हुई सभी प्रतियोगिताओं के विजेताओं घोषणा हुई। विजयी छात्र-छात्राओं को शिल्ड सर्टिफिकेट आदि देकर उन्हें सम्मानित किया गया।
व्याससमारोह के प्रणेता महामहोपध्याय प्रो० सुधाकराचार्य त्रिपाठी ने गेयात्मक पद्म में व्याससमारोह की प्रशंसा की। चौ० चरणसिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला ने सभी छात्रों को शुभकामनाएं दी। कलासंकायाध्यक्ष प्रो संजीव कुमार शर्मा ने भी छात्रों को शुभाषीश दिया। प्रो० पूनम लखनपाल, रघुनाथ गर्ल्स पी जी कालिज ने आगामी वर्ष के व्याससमारोह में होने वाले ग्रन्थ की सूचना दी और छन्द नाद किया।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि कुलपति प्रो० रमेश चन्द भारद्वाज, महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल ने व्यास समारोह की प्रशंसा की. उन्होंने कहा कि 1979 में इसी व्यास समारोह की वाद-विवाद प्रतियोगिता में वे स्व प्रतिभागी थे और उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। पाँच वर्ष पूर्व यहां पौराणिकव्याख्यान देने का अवसन प्राप्त हुआ।
उन्होंने कहा कि संस्कृत के बिना भारत की कल्पना नहीं की जा सकती। संस्कृत ही भारत का आत्मतत्त्व है। पुराणों का
महत्व बताते हुए उन्होंने कहा पुराण तो वेद से भी अधिक प्राचीन है। वैदिक समाज तथा संहिताओं में प्रतिपल जिस देवी जिस दिव्य शक्ति को सार के रूप में याद किया जाता है, उसे ऋषियों ने देवी भागवत महापुराण में दर्ज किया है। वेदों का माता गायत्री है। हमारे सभी वैदिक शास्त्रों में गायत्री देवी को सर्वोपरि माना है।
सारस्वत अतिथि प्रो० विश्वनाथ ने गौरान्वित होते हुए कहा कि हम सब सौभाग्यशाली है कि प्रतिवर्ष होने वाले व्याससमारोह में सम्मलित होते हैं, ग्रन्थों का मन्थन करते हैं। हमें माँ सरस्वती की कृपा से ऐसा अवसर प्राप्त होता है। उन्होंने श्रीमद्देवीभागवत पुराण की महत्ता बताते हुए कहा कि इसमें सृष्टि प्रक्रिया, दर्शन, आख्यान तथा सभी कथा विद्यमान है। श्रीमद्देवीभागवत पुराण में प्रारब्ध और उद्यम दोनों का सम्यक प्रकार से वर्णन प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जब तक प्रारब्ध सम्यक नहीं होगा तब तक उद्यम भी उत्तम नहीं हो सकता है। और प्रत्यन भी अवश्य ही करना चाहिए। प्रत्यन अर्थात उद्यम के बिना प्रारब्ध भी कार्य नहीं कर सकता। संस्कृत विभाग समन्वयक प्रो. वाचस्पति मिश्र ने व्याससमारोह की प्राचीनता के विषय में बताया तथाविजयी छात्रों को शुभकामाएं दी।