• प्रदेश के 75 जिलों की समीक्षा के बाद खुलासा।
  • महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने एक सप्ताह में भुगतान के दिये आदेश।

प्रेमशंकर, संवाददाता |

शारदा न्यूज़। प्रदेश सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने के लिये बेसिक शिक्षा विभाग चलाया जा रहा है। इस विभाग के अंतर्गत आने वाले प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को अच्छी व निशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है। इसके बदले सरकार शिक्षकों को मोटा वेतन देती है। लेकिन इन स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को मिलने वाले एरियर को बिना किसी ठोस वजह के रोका गया है। जिसको लेकर महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने नाराजगी जताई है। साथ ही पूरे प्रदेश के सभी 75 जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारिओं को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में रुका हुआ भुगतान करने को कहा है।

महानिदेशक द्वारा 27 सितंबर को जारी आदेश में बताया गया है कि प्रदेश के सभी 75 जिलों मे बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों के एरियर का लंबे समय से भुगतान नहीं हुआ है। इनमें आगरा के 156, अलिगढ़ के 48, अंबेडकर नगर के 66, अमेठी के 72, अमरोहा के 32, औरैया के 46, अयोध्या के 46, आजमगढ़ के 65, बागपत के 21, बलिया के 30, बलरामपुर के 13, बांदा के 329, बाराबंकी के 74, बरेली के 78, बस्ती के 122, बहराइच के 7, बिजनौर के 52, बुलंदशहर के 102, चंदौली के 59, चित्रकूट के 15, देवरिया के 34, एटा के 31, इटावा के 26, फरुखाबाद के 135, फतेहपुर के 173, फिरोजाबाद के 70, गौतमबुद्ध नगर के 26, गाजियाबाद के 12, गाजीपुर के 125, गोंडा के 31, गोरखपुर के 44, हमीरपुर के 30, हापुड़ के 32, हरदोई के 256, हाथरस के 61, जालौन के 33, जोनपुर के 49, झांसी के 24, कन्नौज के 154, कानपुर देहात के 175, कानपुर नगर के 48, कासगंज के 26, कौशांबी के 39, कुशीनगर के 59, लखीमपुर खीरी के 108, ललितपुर के 39, लखनऊ के 123, महाराजगंज के 44, महोबा के 24, मैनपुरी के 77, मथुरा के 73, मऊ के 43, मेरठ के 58, मिर्जापुर के 13, मुरादाबाद के 40, मुजफ्फरनगर के 25, पीलीभीत के 14, प्रतापगढ़ के 52, प्रयागराज के 157, रायबरेली के 184, रामपुर के 18, सहारनपुर के 31, संभल के 56, संतकबीरनगर के 6, संत रविदास नगर के 51, शाहजहांपुर के 35, शामली के 24, श्रवस्ती के 8, सिद्धार्थनगर के 63, सीतापुर के 98, सोनभद्र के 10, सुल्तानपुर के 49, उन्नाव के 88 व वाराणसी के 41 मामले लंबित हैं।

– शिक्षकों से वसुली के नाम पर भी रोका जाता है भुगतान

 

बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत शिक्षकों व कर्मचारियों का एरियर रोकने के पीछे अवैध वसूली भी मुख्य वजह बतायी जा रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अपने कार्यालय में कार्यरत लिपिकों से वसुली करवाते हैं। अपनी सर्विस बुक में बैड एंट्री होने से बचने के लिये पीड़ित पैसा देते हैं।

यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है। लेकिन इसपर अंकुश लगाने को लेकर कभी सख्त कदम नहीं उठाए गये। अब महानिदेशक बेसिक शिक्षा ने प्रकरण को लेकर प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से जवाब मांगा है। जिसके बाद इसके साकारात्मक परिणाम सामनें आने की उम्मीद जगी है।

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